अच्छे उत्पादन के लिए बीज का गुणवान एवं चरित्रवान होना जरूरी है। भारत सरकार ने बीज की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु बीज अधिनियम 1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश-1983, भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानक- 1971, 1988, 2013 की रचना की और उनकी पालना करने से बीज की गुणवत्ता उत्तम ही नहीं उत्तमोत्तम हो रही है। कभी-कभी कृषक की उपज अच्छी नहीं आती इसलिये बीज विक्रेता से शिकायत करता है और अपनी फसल को व्यापारी को दिखाने के लिये आग्रह करता है। विक्रेता पीड़ित कृषक के खेत का निरीक्षण नहीं कर पाता तो वह कृषि विभाग में अपनी शिकायत दर्ज करवाता है और कृषि विभाग निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट दे देता है। कृषक इस रिपोर्ट के आधार पर वकील की सहायता से उपभोक्ता न्यायालय में क्षतिपूर्ति का दावा दायर कर देता है। बीज विक्रेताओं पर उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय का नोटिस जाता है और वह उसे आगे बीज उत्पादकों तक पहुँचा देते हैं। कई बार कृषक, उत्पादक को भी पक्ष बना लेता है। मेरी कानूनी मामलों में रूचि होने के कारण नेशनल सीड्स कार्पोरेशन में रहते हुए बीज के कारण हुई क्षति के मामलों की पैरवी की। आई.आई.एफ.डी.सी. में रहते हुए ग्वार के सैकड़ों विवादों की पैरवी करता रहा। बीज नियम कायदों, उच्चतम तथा उच्च न्यायालयों के दिए गये निर्णयों से प्राप्त अनुभव को बीज विक्रेताओं के साथ सांझा करना चाहता हूँ ताकि किसान की शिकायतों के जवाबी दावे में वकील की नोलिज के साथ तकनीकी पहलुओं के समावेश से केस का आधार मजबूत हो सके। मेरे पास बीज के कारण क्षतिपूर्ति के जितने केस आते हैं मैं वकील के ज्ञान के साथ टैक्नीकल बातों का उल्लेख करवाता हूँ। उन्हीं बातों का उल्लेख मैं 'उपभोक्ता कानून और बीज' लेखों की कड़ी में करूंगा। प्रथम कड़ी प्रस्तुत है:-
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।