पहला पर्यावरण दिवस 1974 में मनाया गया था, जिसमें "केवल एक धरती" नारा का उपयोग किया गया था। यह दिवस हर साल 5 जून को लगभग 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने के लिए जागरूकता फैलाना है और विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को संज्ञान में लाना है।
21वीं शताब्दी में पर्यावरण के लिए वर्तमान समय की चुनौतियों के बारे में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। प्रदूषण, प्राकृतिक आपदाएं, गर्म जलवायु, हवा की गुणवत्ता में परिवर्तन, बारिश का पैटर्न, बिजली का उत्पादन और जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव से लेकर वन्य जीवन के संरक्षण तक अनेक मुद्दे हैं।
पेड़ लगाने से हम ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को कम करते हैं। इसलिए, आज ही पेड़ लगाएं और हमारी धरती को सुरक्षित रखकर अपना भविष्य संवारें।
1974 की गोष्ठी में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 'पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव' विषय पर एक व्याख्यान दिया था। पर्यावरण सुरक्षा के प्रति यह भारत का एक प्रारंभिक कदम था। इसके बाद से हर साल 5 जून को हम विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते आए हैं। इस दिन दुनिया भर में सबसे अधिक वृक्षारोपण (जिसमें सभी लोग भाग लेते हैं) होता है। 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। इसमें जल, वायु, भूमि-इन तीनों से संबंधित कारक और मानव, पौधों, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल एक नया विषय (थीम) होता है। इस बार की थीम है प्लास्टिक प्रदूषण से धरती को दूर रखना। वर्तमान समय में प्लास्टिक से हमारी धरती, समुद्र और समुद्री जीवजंतु पर विपरीत असर हो रहा है। समुद्री जीवों ने प्लास्टिक को अपने भोजन के रूप में स्वीकार किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्राणी और जीवों के लिए खतरा हो रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए हमें प्रदूषण मुक्त करना और प्लास्टिक का सही इस्तेमाल करना होगा।
वर्तमान समय में चर्चा व जागरूकता
पर्यावरण की रक्षा हेतु दुनिया भर में जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
This story is from the 1st April 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।