जैवविविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही संक्रामक बीमारियाँ
Modern Kheti - Hindi|1st June 2024
जिस तरह इंसान पृथ्वी पर बदलाव कर रहा है उन सभी कारकों से न केवल संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं, साथ ही उनमें कमी भी आ सकती है। इस अध्ययन में जो सबसे हैरान करने वाली बात सामने आई, वो यह है कि प्राकृतिक आवासों के खत्म होने या उनमें बदलाव से संक्रामक रोगों का खतरा घट सकता है।
जैवविविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही संक्रामक बीमारियाँ

इंसान जिस तरह से पृथ्वी का शोषण कर रहा है, वो कहीं न कहीं उसके खुद के विनाश की राह तैयार कर रहा है। इंसानों की वजह से हो रहे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता को होते नुकसान, विदेशी प्रजातियों के हमलों और आवासों को होते नुकसान ने पृथ्वी को इंसानों सहित कई दूसरे जीवों के रहने लायक नहीं छोड़ा है।

नतीजन कई संक्रामक बीमारियां तेजी से पैर प्रसार रही हैं। जो न केवल इंसानों बल्कि दूसरे जीवों और पेड़ पौधों के लिए भी खतरा पैदा कर रही हैं। इन प्रभावों को गहराई से समझने के लिए नॉट्रे डेम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक नया अध्ययन किया है।

चूंकि गर्म और शुष्क जलवायु में मच्छर जैसे जीव खूब पनपते हैं। दूसरी तरफ इनके प्राकृतिक आवासों के खत्म होने से यह बीमारी फैलाने वाले जीव इंसानी बस्तियों के कहीं ज्यादा करीब आ रहे हैं नतीजन इन बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। मलेरिया के मामले में तो कई ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जहां यह बीमारी उन क्षेत्रों में भी फैल रही है, जहां पहले कभी इनका खतरा नहीं देखा गया। इसी तरह वन्यजीवों की विविधता में आती गिरावट से उत्तरी अमेरिका में लाइम रोग के मामले बढ़ सकते हैं।

वहीं नोट्रे डेम विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस बात का गहराई से अध्ययन किया है कि जलवायु और पर्यावरण पर बढ़ता इंसानी प्रभाव किस तरह जटिल समस्याएं पैदा कर रहा है।

इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए लिखा है कि, "हम जानते है कि संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं और मनुष्य पर्यावरण में व्यापक बदलाव कर रहा है, लेकिन इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है कि वो कौन से बदलाव हैं जो इन बीमारियों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहे हैं।" यही वजह है कि इस शोध में उन बदलावों का अध्ययन किया गया है, जो इन संक्रामक बीमारियों के प्रसार और उनमें कमी दोनों से जुड़े हैं। यह संक्रामक रोग न केवल इंसानों बल्कि दूसरे जीवों और पेड़-पौधों को भी प्रभावित कर रहे हैं।

Denne historien er fra 1st June 2024-utgaven av Modern Kheti - Hindi.

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