इंसान जिस तरह से पृथ्वी का शोषण कर रहा है, वो कहीं न कहीं उसके खुद के विनाश की राह तैयार कर रहा है। इंसानों की वजह से हो रहे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता को होते नुकसान, विदेशी प्रजातियों के हमलों और आवासों को होते नुकसान ने पृथ्वी को इंसानों सहित कई दूसरे जीवों के रहने लायक नहीं छोड़ा है।
नतीजन कई संक्रामक बीमारियां तेजी से पैर प्रसार रही हैं। जो न केवल इंसानों बल्कि दूसरे जीवों और पेड़ पौधों के लिए भी खतरा पैदा कर रही हैं। इन प्रभावों को गहराई से समझने के लिए नॉट्रे डेम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक नया अध्ययन किया है।
चूंकि गर्म और शुष्क जलवायु में मच्छर जैसे जीव खूब पनपते हैं। दूसरी तरफ इनके प्राकृतिक आवासों के खत्म होने से यह बीमारी फैलाने वाले जीव इंसानी बस्तियों के कहीं ज्यादा करीब आ रहे हैं नतीजन इन बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। मलेरिया के मामले में तो कई ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जहां यह बीमारी उन क्षेत्रों में भी फैल रही है, जहां पहले कभी इनका खतरा नहीं देखा गया। इसी तरह वन्यजीवों की विविधता में आती गिरावट से उत्तरी अमेरिका में लाइम रोग के मामले बढ़ सकते हैं।
वहीं नोट्रे डेम विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस बात का गहराई से अध्ययन किया है कि जलवायु और पर्यावरण पर बढ़ता इंसानी प्रभाव किस तरह जटिल समस्याएं पैदा कर रहा है।
इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए लिखा है कि, "हम जानते है कि संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं और मनुष्य पर्यावरण में व्यापक बदलाव कर रहा है, लेकिन इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है कि वो कौन से बदलाव हैं जो इन बीमारियों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहे हैं।" यही वजह है कि इस शोध में उन बदलावों का अध्ययन किया गया है, जो इन संक्रामक बीमारियों के प्रसार और उनमें कमी दोनों से जुड़े हैं। यह संक्रामक रोग न केवल इंसानों बल्कि दूसरे जीवों और पेड़-पौधों को भी प्रभावित कर रहे हैं।
This story is from the 1st June 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।