जैविक नियंत्रण पद्धति में परोपजीवी कवकों जैसे ट्रायकोडर्मा हाजिनियम, ट्रायकोडर्मा वायरेंस, ट्रायकोडर्मा विरिडी तथा जीवाणुओं जैसे कि स्यूडोमोनास फ्लोरेंसेंस, बेसिलस जातियों का उपयोग बीज के उपचार, पौधशाला, खेत आदि में करके सब्जियों में लगने वाले रोगों का नियंत्रण किया जा सकता हैं। रोग नियंत्रण के साथ-साथ इन जैविक नियंत्रकों का पौधों के विकास में भी योगदान पाया गया है।
जैविक रोगनाशकों की प्रयोग विधि
(क) पौधशाला/नर्सरी उपचार: सर्वप्रथम भूमि का सौर्य उपचार करें व वांछित जैविक पाउडर 5.10 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से गोबर की खाद में मिला कर नर्सरी तैयार करें।
(ख) बीज उपचार: वांछित जैविक रोगनाशक पाउडर 2.3 ग्राम प्रति कि.ग्रा. की दर से गोंद या कार्बोक्सिमिथाइल सेल्युलोज (सीएमसी) (2 ग्राम/कि.ग्रा. बीज) के साथ मिलाकर बीज का उपचार करें एवं छाया में सुखा कर बुवाई करें।
(ग) कंद/कार्य/राइजोम उपचार: जैविक पाउडर 400.500 ग्राम प्रति क्विंटल कद की दर से कंद/प्रकंद का उपचार गोंद अथवा सीएमसी (50.100 ग्राम) के साथ मिला कर करें एवं छाया में सुखा कर खेत में रोपाई करें।
This story is from the 15th June 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।