फसलों को कीट/रोगों से बचाने के लिए प्रयोग किये जा रहे दवाओं का उचित प्रयोग करना बहुत आवश्यक है। इन दवाओं के लिए प्रयोग की जा रही मशीनें एवं तकनीकों के बारे में यदि उचित ज्ञान हो तो आप इन प्रयोग किये जाने वाले दवाओं से पूरा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
स्प्रे करने के लिए सही नोज़ल का चुनाव एवं उसका उचित प्रयोग करना बहुत आवश्यक है। दवाओं को सही स्थान पर पहुंचाने का कार्य छिड़काव करने वाले यंत्र ही करते हैं। सही छिड़काव करने के लिए नोज़लों की बहुत बड़ी अहमियत है। स्प्रे करते समय नोज़लों का सही चुनाव होना बहुत आवश्यक है। भिन्न-भिन्न तरह की नोज़लें स्प्रे करने के लिए प्रयोग की जाती हैं। इन नोज़लों की सही जानकारी होना बहुत आवश्यक है। पर्यावरण पर पड़ रहे बूरे प्रभावों के कारण दवाओं का ठीक न होना भी है। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए एवं दवाओं को सही स्थान पर ठीक ढंग से पहुंचाने के लिए सही नोज़लों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
नोज़ल पंप में दवाओं के बहाव को नियंत्रित करते हैं। तुपका सही आकार का होना, स्प्रे का सही ढंग से सही उद्देश्य पर पहुंचना नोज़ल पर ही निर्भर करता है। अकसर किसान सही नोज़लों के चुनाव की ओर विशेष ध्यान नहीं देते। अकसर देखने में आता है कि किसान कई वर्षों तक एक ही नोज़ल का प्रयोग करते रहते हैं जो कि सही नहीं है। लगातार एक नोज़ल का प्रयोग करने से स्प्रे के बहाव से नोज़ल के मुंह खुल जाते हैं जिससे स्प्रे का बहाव सही नहीं होता। इसलिए यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि इन रासायनिक दवाओं के स्प्रे से पूरा लाभ लेने के लिए सही नोजल एवं स्प्रे पंपों का ज्ञान होना आवश्यक है। मुख्य तौर पर निम्नलिखित तीन तरह की नोज़लों का प्रयोग स्प्रे करने के लिए किया जाता है:
1. होलोकोन नोज़ल : यह नोज़ल कीट व बीमारियों की रोकथाम के लिए छिड़काव के लिए प्रयोग की जाती है। इस नोज़ल द्वारा फुहार एक तिकोण की तरह होती है जो बाहरले घेरे में अधिक छिड़काव करती है और छिड़काव की मात्रा बीच में घट जाती है। इस नोजल द्वारा छिड़काव बहुत बारीक फुहार से होता है।
This story is from the 15th August 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।