नई तकनीकों का प्रयोग, जलवायु परिवर्तन और सरकारी नीतियों ने कृषि के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। इस लेख में हम कृषि की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
कृषि की वर्तमान स्थिति :
1. नई तकनीकों का कृषि में महत्व :
नई तकनीकों की कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका है। ये न केवल फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद करती हैं, बल्कि किसानों की मेहनत और लागत को भी कम करती हैं। नई तकनीकों के कुछ प्रमुख लाभ और उनका महत्व निम्नलिखित हैं :
सटीक खेती (Precision Farming ):
सेंसर, ड्रोन और जीपीएस जैसी तकनीकों का उपयोग करके सटीक खेती संभव हो पाई है। इससे फसलों की सेहत, मिट्टी की गुणवत्ता और जल की आवश्यकता का सही अनुमान लगाया जा सकता है। किसान सही समय पर सही मात्रा में उर्वरक और पानी का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है और संसाधनों की बचत होती है।
ड्रोन तकनीक :
ड्रोन का उपयोग फसलों की निगरानी, छिड़काव और निरीक्षण के लिए किया जा रहा है। इससे खेतों की व्यापक निगरानी संभव होती है और किसान समय पर समस्याओं की पहचान कर सकते हैं। कीट और रोग की पहचान और नियंत्रण में भी ड्रोन मददगार साबित हो रहे हैं।
स्मार्टफोन और मोबाइल एप्लिकेशन :
विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से किसानों को मौसम की जानकारी, बाजार के दाम और खेती के टिप्स मिलते हैं। इससे वे बेहतर निर्णय ले सकते हैं और अपनी फसलों का सही मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।
जैवप्रौद्योगिकी (Biotechnology) :
जैवप्रौद्योगिकी का उपयोग करके उच्च पैदावार वाली और रोग-प्रतिरोधी फसलों का विकास किया जा रहा है। जीएम (जैनेटिकली मोडिफाइड) फसलों ने उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है और किसानों को बेहतर गुणवत्ता की फसलें प्राप्त हुई हैं।
मशीनीकरण (Mechanization) :
आधुनिक कृषि मशीनरी जैसे ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और प्लांटर ने खेती की प्रक्रियाओं को तेज और कुशल बना दिया है। इससे किसानों की मेहनत और समय की बचत होती है, साथ ही उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
संवर्धित कृषि (Hydroponics और Aeroponics) :
This story is from the 15th August 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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शीत ऋतु में ऐसे करें डेयरी पशुओं का प्रबंधन
शीत ऋतु में डेयरी पशुओं का उचित प्रबंधन करके हम उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रख सकते हैं। पौष्टिक आहार, उचित आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से पशुओं को ठंड के तनाव से बचाया जा सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर हम पशुओं के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान कर सकते हैं।
खाद्यय फसलों की रानी-मक्का उपज बढ़ाने के वैज्ञानिक तरीके
मक्का विश्व की एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। मक्का में विद्यमान अधिक उपज क्षमता और विविध उपयोग के कारण इसे खाद्यय फसलों की रानी कहा जाता है। पहले मक्का को विशेष रुप से गरीबों का मुख्य भोजन माना जाता था परन्तु अब ऐसा नहीं है।
कृषि आय बढ़ाने और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में डेयरी सैक्टर की भूमिका
आठ करोड़ डेयरी किसानों के साथ भारत का डेयरी सैक्टर सामूहिक प्रयास और रणनीतिक विकास की ताकत का बेहतरीन सबूत है। 50 साल पहले दूध की कमी वाले देश से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनने तक भारत ने असाधारण यात्रा तय की है।
सूरजमुखी की खेती की उत्तम पैदावार कैसे लें?
सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनों ही मौसमों में की जा सकती है। परन्तु खरीफ में सूरजमुखी पर अनेक रोग कीटों का प्रकोप होता है। फूल छोटे होते हैं तथा उनमें दाना भी कम है।
असामान्य तापमान, डीएपी संकट और रिजर्व बैंक की मुश्किलें
पिछले सप्ताह जीडीपी के सात तिमाही के निचले स्तर पर पहुंचने के आंकड़ों ने पहले से ही परेशान भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार की मुश्किलें बढ़ी दी हैं।
अपनी खेती अपने बीज
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना की ओर से सिफारिश अधिकतर बीज देसी किस्मों से संशोधित बीज हैं, विशेष तौर पर सब्जियों के। अनाज वाली फसलों के अधिकतर बीज हरित क्रांति की तकनीकों के द्वारा विकसित किये अधिक उत्पादन देने वाले हैं। पीएयू की ओर से अब तक गेहूं एवं धान की किसी भी हाईब्रिड किस्म की सिफारिश नहीं की गई है परन्तु मक्का की अधिकतर किस्में हाईब्रिड हैं।
सरसों में कीटों की पहचान व रोकथाम
सरसों रबी में उगाई जाने वाली फसलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। सरसों वर्गीय फसलों के तहत तोरिया, राया, तारामीरा, भूरी व पीली सरसों आती है। हरियाणा में सरसों मुख्य रुप से रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, हिसार, सिरसा, भिवानी व मेवात जिलों में बोई जाती है।
गन्ना कटाई मशीन आवश्यकता, लाभ व अनिवार्य शर्ते
यमुनानगर जिले की फसल विविधता में गन्ने का अहम् योगदान है। हरियाणा सांख्यिकी सारांश के अनुसार यमुनानगर जिले में वर्ष 2013-2014 में गन्ने का उत्पादन क्षेत्रफल 27000 हैक्टेयर से घटकर वर्ष 2021-2022 में लगभग 20000 हैक्टेयर रह गया है जिसमें इस प्रकार क्षेत्रफल में लगभग 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
समन्वित कृषि अपशिष्ट प्रबंधन
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी अधिकतर जनसंख्या गांवों में निवास करती है। यहां पर अनेक प्रकार के खाद्यान्नों का उत्पादन होता है। वास्तव में खाद्य पदार्थो का सीधा सम्बन्ध जनसंख्या पर आधारित होता है।
गेहूं का पीला रतुआ रोग एवं रोग से बचाव के उपाय
गेहूं का पीला रतुआ रोग, गेहूं के उत्पादन में विश्व स्तर पर भारत का दूसरा स्थान है और वर्ष 2014 में हमारा गेहूं उत्पादन 95.91 मिलियन टन रहा जो एक ऐतिहासिक रिकार्ड उत्पादन है। भारत की गेहूं उत्पादन में यह उपलब्धि दुनिया के विकास के इतिहास में शायद सबसे महत्वपूर्ण तथा अद्वितीय रही है। गेहूं उत्पादन में काफी वृद्धि के बावजूद भी हमारा देश विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है।