भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान देश की रीढ़ की हड्डी के समान है, जो अधिकतर गांवों में ही रहते हैं और कृषि ही उनकी आय का मुख्य साधन है, जिसमें अधिकतर किसानों के पास सीमित भूमि है। ये उल्लेखनीय है कि भारत के 85 प्रतिशत किसान पांच एकड़ से कम या केवल पांच एकड़ भूमि पर खेती करते हैं, जिनमें से आधे भारत के कई हिस्सों में शुष्क/वर्षा आधारित हो सकते हैं।
परन्तु इसके बाद भी आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल, जूट और दूध का उत्पादक है और गन्ना, मूँगफली, सब्जियां, फल, चावल, गेहूं और कपास के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक के रुप में उभरा है। इसके अतिरिक्त मसालों, मत्स्य, पशुधन और बागवानी फसलों के प्रमुख उत्पादकों में से भी प्रमुख है।
परन्तु दुर्भाग्य से जो अर्थव्यवस्था के कुल सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में कृषि की हिस्सेदारी 1980-1981 में 35.7 प्रतिशत थी, अब 2022-23 में घटकर 18.3 प्रतिशत हो गई है और यह गिरावट कृषि जीवीए में गिरावट से नहीं, बल्कि औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में तेजी से विस्तार के कारण आई है।
यदि भविष्य में भारत को वार्षिक विकास दर को 8-10 प्रतिशत हासिल करना है तो कृषि क्षेत्र को निरंतर चार प्रतिशत या उससे अधिक दर से बढ़ना होगा। परन्तु कृषि में चार प्रतिशत विकास दर को प्राप्त करने में बहुत सी चुनौतियां हैं। जिनमें कम भूमि धारक, पुरानी कृषि पद्धतियां, पानी की कमी, बाजार में अस्थिरता और कीमतों में उतार-चढ़ाव और सबसे महत्वपूर्ण रूप से खराब आपूर्ति श्रृंखला और जब तक हम इन चुनौतियां को हल नहीं करेंगे, तब तक कृषि में उज्वल भविष्य की कल्पना करना संभव नहीं।
हालांकि, केंद्र एवं राज्य सरकारें किसानों की आय और खेती की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए टिकाऊ कृषि सुधारों पर काम कर रही हैं, जिसमें किसानों की आय दोगुनी करना, कृषि में ड्रोन, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस एवं ब्लॉकचैन तकनीक का उपयोग प्रमुख है।
This story is from the 1st December 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धी प्राप्त विज्ञानी डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा
डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा एक बहुआयामी शकसीयत के मालिक थे। डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा का जन्म एक जाट किसान परिवार के घर 2 फरवरी 1909 को जीरे में हुआ। उनमें बचपन से ही पढ़ने-लिखने व खेलने की दिलचस्पी थी।
हल्दी में पाई जा रही सीसे की मात्रा-चिंताजनक
भारत में कई सदियों से हल्दी का उपयोग होता आया है। यह एक ऐसा मसाला है जो करीब-करीब सभी के घरों में उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं अपने अनोखे गुणों के चलते यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद समझी जाती है। लेकिन एक नए अध्ययन में भारत में हल्दी को लेकर जो खुलासे किए गए हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक भारत के कुछ हिस्सों से लिए गए हल्दी के नमूनों में सीसे (लेड) की मात्रा तय मानकों से 200 गुणा अधिक थी।
पौधों की मृदा जनित बीमारियों को इन प्राकृतिक उपायों से करें प्रबंधित!
दमनकारी मिट्टी कई तंत्रों के माध्यम से काम करती है, जिसमें अक्सर मिट्टी के सूक्ष्म जीवों, कार्बनिक पदार्थों और मिट्टी के गुणों का जटिल परस्पर क्रिया शामिल होती है। सूक्ष्म जीवों की प्रतिस्पर्धा और विरोध लाभकारी सूक्ष्म जीव, जैसे कि कुछ बैक्टीरिया और कवक, पोषक तत्वों और स्थान के लिए रोगजनकों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
फसल चक्र अपनायें भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ायें
बैंड प्लाटिंग तकनीक से गन्ने की बिजाई के साथ गेहूं, धनिया, चना, मसर, सरसों, मूंग, प्याज व लहसुन जैसी फसलें लगाने से खेत को बार-बार तैयार करने की जरुरत नहीं पड़ती व निराई-गुड़ाई होते रहने से फसल में खरपतवार से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है।
एप्पल बेर की हाई डेंसिटी फार्मिंग से सफलता प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान - अकबर अली अहमद
असम के प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद ने एप्पल बेर की हाई डेंसिटी फार्मिंग से नई ऊंचाईयों को छुआ है।
कृषि आपूर्ति श्रृंखला में ब्लॉकचेन का महत्व
ब्लॉकचेन, किसानों को खेत से उपभोक्ता तक माल की आवाजाही को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है। ब्लॉकचेन तकनीक, कृषि व्यवसाय के भीतर यातायात और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को अनुकूलित करने, कृषि उत्पादों के परिवहन, भंडारण और वितरण के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बढ़ रहे तापमान के कारण घट रही है जमीन की कार्बन सोखने की क्षमता
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद से किए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि साल 2023 की भयंकर लू या हीटवेव की वजह से बड़े पैमाने पर जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुई और भयंकर सूखा पड़ा, जिसने जमीन की वायुमंडलीय कार्बन को सोखने की क्षमता को कम कर दिया।
फसल उत्पादन के लिए पानी की खपत कम करने की आवश्यकता
ट्वेन्टे विश्वविद्यालय (यूटी) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में दुनिया की मुख्य फसलों को उगाने के लिए लोगों के द्वारा खपत किए जाने वाले पानी की मात्रा में ऐतिहासिक बदलावों पर प्रकाश डाला गया है।
कृषि उत्पादों में बढ़ रही महंगाई क्यों नहीं रुक रही?
क्या 2021 में चना, गेहूँ, धान, मूंग, कच्चा पाम तेल व सरसों और सोयाबीन जैसे सात कृषि उत्पादों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए वायदा कारोबार (फ्यूचर डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग) को निलंबन किया जाना सरकार का एक बेहतर निर्णय था?
फूड सिक्योरिटी के लिए खादों की कमी चिंता का विषय...
गेहूं की बुआई समेत रबी फसलों का सीजन शुरू होते ही देशभर में डीएपी खाद की कमी की गूंज सुनाई दे रही है।