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साइबर लॉः 'नए कानूनों से साइ बर वकीलों की मांग बढ़ेगी'
डाटा सुरक्षा पर नये कानून, सुरक्षा उल्लंघनों के अनिवार्य प्रकटीकरण आदि से साइबर वकीलों के लिए कॅरियर के नये रास्ते खुलेंगे।
विधि की पढाई के लिए अंग्रेजी कितनी जरूरी?
इसका छोटा सा जवाब होगाः नहीं। आप इसकी पढ़ाई क्षेत्रीय भाषा में भी कर सकते हैं लेकिन इससे जुड़ी कई तरह की चुनौतियां हैं ।
रैंकिंग : कैसे अंजाम तक पहुंची यह प्रक्रिया
चूंकि अन्य क्षेत्रों, खासकर प्रौद्योगिकी में होने वाले बदलावों और विकास के अनुरूप ही कानून की दिशा में भी अंतर आता है, ऐसे में आइए जानते हैं कि वकीलों को प्रशिक्षित करने वाली व्यवस्था कैसे बदल रही है।
तरल यांत्रिकी
जेईई (मेन) और नीट प्रवेश परीक्षाओं के पाठ्यक्रमों में' ठोस और तरल के गुणधर्म' और' विशाल पदार्थों के गुणधर्म' के एक हिस्से के तौर पर तरल यांत्रिकी भी शामिल है । इन दोनों को क्रमशः 4 % और 3 % की वरीयता दी गई है ।
मुसीबत में बने साथी
एनआरसी से बाहर रहने वाले लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले असम के वकीलों की मदद करने के लिए पांच एनएलयू के द्वारा गठित' परिचय' मंच से देश भर के लगभग 175 लॉ संस्थानों के छात्र जुड़े हैं ।
मडारवाली को ऐसे मिला अपना पहला वकील
आईडीआईए ट्रस्ट ने सर्वाधिक सुविधाविहीन समुदायों के दर्जनों युवाओं को प्रतिष्ठित लॉ संस्थानों में प्रवेश दिलाने में मदद दी है और ऐसा करके इसने कानूनी सहायता को उनकी पहुंच में लाने का काम किया । इसी पहल के चलते पश्चिम बंगाल के एक गांव ने अपना इकलौता वकील पाया ।
फीस वापस पाने की लडाई
दो उम्मीदवार और एक प्रतिष्ठित फैशन डिजाइन संस्थान फीस की वापसी के मुद्दे को लेकर एक दशक से अधिक समय से न्यायालय की शरण में हैं ।
प्रायिकताः संभावना की गणना
चूंकि प्रायिकता (संभाव्यता) के टॉपिक से एक से तीन प्रश्न पूछे जाते हैं ऐसे में इस पर अच्छी पकड़ जेईई (मेन) और अन्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में बेहतर अंक पाने में मददगार हो सकती है।
उपेक्षित अवस्था में कानूनी सहायता क्लीनिक
छात्रों को कानूनों के व्यावहारिक अनुप्रयोग से परिचित कराने के एक महत्वपूर्ण तरीके के रूप में, राज्य के लॉ कॉलेजों के कानूनी सहायता क्लीनिक क्यों पिछड़ रहे हैं?
आपके प्रश्नों के मिल गए उत्तर
कॅरियर्स360 पर कानून की पढ़ाई के संबंध में छात्रों द्वारा पूछे गए सामान्य प्रश्नों के जवाब चार अकादमीविदों ने दिए हैं।
आईपी लॉ: नवाचार को दे रहे बढावा
प्रौद्योगिकी और नवाचार की ओर दिए जा रहे जोर को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों द्वारा इस दिशा में की गई प्रगति और बौद्धिक संपदा ( इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी रखने को सुरक्षित आईपी ) के लिए वकीलों की एक नयी पीढ़ी तैयार हो रही है ।
Migrant Workers in Globalising India
Contrary to the widely held anticipation that post-reforms economics would give rise to significantly higher levels of migration within India, the initial post-reforms period did not witness a massive increase in the extent of migration. the 2001-2011 decade however, sees a substantial increase.
असली लोकतंत्र की एक झलक
सूचना के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं द्वारा राजस्थान के भीम में क्रियान्वित लोकतंत्रशाला, छात्रों को दर्शाती है कि कानून जमीन पर कैसे काम करते हैं ।
The Pill For India's Ailing Medical Eductaion System
Medical education in India is mired with a host of controversies and is trudging along a rough path.
Vice President says focus should be on agro-based industries, other non-farm avenues to double farmers income
Vice President Venkaiah Naidu says Prime Minister has given a call for doubling farmers’ income by 2022. He said if the target is to be achieved, focus should be on agro-based industries and other nonfarm avenues for generating income
Over 3000 global leaders to meet at WEF's 50th Annual Meeting in Davos
Union ministers Piyush Goyal and Mansukh Mandaviya as well as three chief ministers -- Amarinder Singh, Kamal Nath and B S Yeddyurappa -- will join over 100 Indian CEOs in the Swiss ski resort town of Davos next month for the WEF's 50th annual meeting, which will be attended by thousands of rich and powerful from across the globe.
INTACH to provide consultancy services for reconstruction of earthquake affected Cultural Heritage sites in Nepal
The Government of India has deployed Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH) to provide consultancy services for the Post-Earthquake reconstruction of 11 Cultural Heritage sites in Nepal.
66th National Film Award: Vicky Kaushal, Ayushman Khurrana bag best actors award; Keerthy Suresh best actress
66th National Film Award: Vicky Kaushal, Ayushman Khurrana bag best actors award; Keerthy Suresh best actress
लोहिया - केजीएमयू ने बनाए कई कीर्तिमान
बीता साल राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए काफी उपलब्धियों भरा रहा । लोहिया अस्पताल के विलय के बाद से ही डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में कई बदलाव हुए हैं । विलय के बाद से ही कई सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है तो कई नई सुविधाएं बढ़ी हैं । केजीएमयू ने भी साल 2019 में कई नए कीर्तिमान स्थापित किए । केजीएमयू के इतिहास में पहला लिवर प्रत्यारोपण मार्च 2019 में हुआ । घुटना प्रत्यारोपण को लेकर भी 2019 में केजीएमयू से बड़ी शुरुआत सामने आई । इसके तहत बताया गया कि अब घुटने का जितना हिस्सा खराब होगा , डॉक्टर सिर्फ उतना ही बदलेंगे ।
रघुवर पर भारी पड़ी आदिवासियों की नाराजगी
रघुवर सरकार का बुरा वक्त वर्ष 2017 से ही तब शुरू हो गया था , जब सरकार जमीन अधिग्रहण बिल लेकर आई थी । विधानसभा से पास होने पर भी सरकार इसे लागू नहीं करा सकी । इसी के बाद से । आदिवासियों में रघुवर सरकार के खिलाफ नाराजगी के बीज पनपने लगे । वर्ष 2014 में भाजपा को जिताने के बाद गैर आदिवासी सीएम बनाने से भी आदिवासी समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा था । भाजपा को जिन गैर आदिवासियों ने वोट डाला था , वह भी इस चुनाव में उससे किनारा कर चुका था । इसका कारण यह था कि बीते पांच वर्षों में भाजपा सरकार ने रोजगार के अवसर मुहैया नहीं कराए । भाजपा के बागी उम्मीदवार सरयू राय की उम्मीदवारी ने भी वोट में सेंध लगाई । स्थानीय मुद्दों से अलगाव भी भाजपा की हार का कारण बना ।
दावों और वादों पर जमीनी अमल की चुनौती
प्रधानमंत्री बनते ही नरेन्द्र मोदी ने देश को एक विश्वास दिलवाया था कि उनका प्रयास देश में मिनिमम गवर्मेंट और मैक्सिमम गवर्नेस का होगा , लेकिन बेरोजगारों के संकट के समाधान के लिए बनाई गई दर्जन भर योजनाओं के परिणाम खुद ही चिन्ता का कारण बने हुए हैं । इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री ने अपने दावे के मुताबिक ढांचागत सुधार के लिए कई बड़े कदम उठाए , लेकिन जमीनी तौर इस भावना को उतारे जाने का सपना अभी कोसों दूर है ।
सन्मार्ग से विमुख करता है भौतिकता का प्रदर्शन
उत्सवधर्मिता तो जीवन का आवश्यक अंग है , बस इसमें वैभव का अनावश्यक प्रदर्शन न हो । इस व्यर्थ के प्रदर्शन में कदाचार पैठ जमा लेता है और आगे चलकर ढेर सारे दुर्गुणों के साथ जीवन को आदर्शों से भटका देता है । भौतिकता का अतिरेक धर्म और सत्य के मार्ग से विरत करता है । ऐसी भौतिकता देश काल - समाज सबके हितों के प्रतिकूल होती है । इसका कारण है , भौतिकता में सत्य और धर्म न साध्य होते हैं न साधन , जबकि सत्य धरा को धारण करता है और धर्म सबकी रक्षा करता है ।
हक के लिए उदासीनता त्यागें उपभोक्ता
हर व्यक्ति उपभोक्ता है । बावजूद इसके , कुछ ही लोग उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं , जिसका लाभ विभिन्न कंपनियां और दुकानदार उठाते हैं ।
हिंसा की आग में किसने झोंका यूपी को ?
देशभर में नागरिकता संशोधन कानून का पुरजोर विरोध जारी है । इस दौरान यूपी के कई जिलों में भी जबरदस्त हिंसा और आगजनी हुई । सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में हुई हिंसा को लेकर कहा , ' लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है । संशोधित नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर कांग्रेस , सपा और वाम दलों ने पूरे देश को आग में झोंक दिया है । अराजक तत्वों से सख्ती से निपटा जाएगा । ' हालांकि हिंसा में बाहरी लोगों के शामिल होने की बात भी सामने आ रही है । राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं , ' इन शरारती तत्वों ने धारा 370 , ट्रिपल तलाक , अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जैसी घटनाओं को एक साथ जोड़ा और मुस्लिम युवाओं को गुमराह करने की कोशिश की । '
बीते साल में शिक्षा की दशा-दिशा
भारत के मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने भरोसा दिलाया है कि देश की नई शिक्षा नीति आने ही वाली है और उसमें शिक्षा की चुनौतियों के भारत केंद्रित समाधान की व्यवस्था है । प्रकट रूप में शिक्षा नीति का मसौदा भारत में शिक्षा की प्रचलित विसंगतियों का गहन विश्लेषण करने के उपरान्त भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था की वकालत करता है । इसमें भविष्य की अपेक्षाओं का आकलन कर महत्वपूर्ण सस्तुतियां की गई हैं । यह संतोष का विषय है कि इसमें भाषा और संस्कृति के महत्व को भी केंद्रीय स्थान दिया गया है । हम आशा करते हैं कि नीति से आगे बढ़कर कार्यान्वयन का समयबद्ध कार्यक्रम भी देश को प्राप्त होगा और उपेक्षा के दौर से निकल कर शिक्षा को नई दिशा मिलेगी । देश के निर्माण में शिक्षा की भूमिका को कमतर आंकने की नकारात्मक प्रवृत्ति से उबरना जरूरी है ।
बीते साल चर्चा में रहे थे मुद्दे
यदि किसी तरीके से पिछले साल का मूल्यांकन करना हो तो कैसे किया जाए ? राजनीतिक शुचिता और परिपक्वता के आयाम पर... सामाजिक ताने बाने की विकसित सुदृढ़ता के विचार से... आर्थिक समृद्धता और सामाजिक न्याय के आधार पर... स्त्री समानता व वंचितों के अधिकार की दृष्टि से... जलवायु व पर्यावरण के मानकों पर हमारी उपलब्धियों के दृष्टिकोण से... धर्म व अध्यात्म की नज़र से... स्वास्थ्य , शिक्षा के मानकों पर... सैन्य व रक्षा क्षेत्र के तौर पर ? ऐसे कितने ही मुद्दे यहां लिखे जा सकते हैं और हैं भी । किसी एक आयाम पर हमने सफलता भी हासिल की है , थोड़ा प्रगति भी की है तो कई ऐसे आयाम हैं जहां हम पहले से पिछड़े हैं या जहां के तहां हैं । आइए नजर डालते हैं बीते साल के कुछ प्रमुख मुद्दों पर , जो जो किसी भी तरीके से हमारे समाज या देश को प्रभावित करते हैं ।
पूरी दुनिया में रही सर्वोच्च न्यायालय के - अहम फैसलों की गूंज
साल 2019 सुप्रीम कोर्ट के तमाम ऐतिहासिक फैसलों के लिए भी जाना जाएगा । सर्वोच्च अदालत ने इस साल कई ऐसे फैसले सुनाए , जो इतिहास बन गए । एक तरफ कोर्ट ने दशकों पुराने तथा पूरे देश को आंदोलित करते रहे अयोध्या जमीन विवाद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मामले का पटाक्षेप किया , तो दूसरी तरफ राफेल डील में भी अहम फैसला सुनाया । कोर्ट का यह फैसला एक तरह से मोदी सरकार के लिए क्लीन चिट जैसा था । कुछ मामले ऐसे भी रहे , जिनसे सियासत की दिशा और दशा भी बदली । इनमें महाराष्ट्र का सियासी मामला प्रमुख रहा , जहां पहले नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस ने सरकार बना ली थी , लेकिन बाद में उन्हें पद त्यागना पड़ा । आइए एक नजर डालते हैं सुप्रीम कोर्ट द्वारा साल 2019 में सुनाए गए कुछ अहम फैसलों पर -
न्याय में देरी - न्याय से वंचित करने के समान
तमाम ऐसे चर्चित मामले रहे हैं , जिनमें किसी की सुनवाई बहुत देर से शुरू हुई तो किसी में बहुत विलंब से फैसला आया । लगभग 20 हजार लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार भोपाल गैसकांड के मुकदमे का फैसला भी 26 वर्ष बाद आया था । इसी तरह कैमरे के सामने रुपये लेते हुए देखे गए बंगारू लक्ष्मण को दोषी साबित करने में न्यायालय को 11 साल लग गए । भारत में लम्बे समय से अदालती कवायद में लटके मुकदमों का जब भी जिक्र आएगा , अयोध्या राम मंदिर मामले का नाम जरूर लिया जाएगा । इस मामले में यूं तो 206 साल पहले विवाद उठ गया था , लेकिन इसके 72 साल बाद पहली बार यह मामला अदालत _ _ में पहुंचा । तब से लेकर 9 नवम्बर , 2019 को इस मामले में फैसला आने के पहले तक लगभग 134 साल तक यह मामला न्यायिक - प्रक्रिया में उलझा रहा । इस तरह अदालती दांव - पेच में न जाने कितने मुकदमे फैसले के इंतजार में अधर में हैं ।
दाम बांधना-काम देना बड़ी चुनौती
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत में घरेलू मांग में लगातार आ रही कमी को गंभीर समस्या माना है । आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के नकारात्मक रुख को देखते हुए ढांचागत सुधार की सलाह दी है । मोदी सरकार में पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने भारत को गहरे आर्थिक सुस्ती के दौर में बताते हुए आगाह किया है । एक शोध पत्र में उन्होंने लिखा है कि यह कोई साधारण सुस्ती नहीं है , भारत में गहन सुस्ती है । ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है । अर्थशास्त्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी के विचार भी उत्साहजनक नहीं रहे । कुछ दिन पहले भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा कियाथा कि जीडीपी 4.5 नहीं बल्कि 1.5 फीसद पर है । जब इतने सारे जानकार चेतावनी और सलाह दे रहे हों तो इन पर अविश्वास करने की कोई वजह नहीं बनती । नए साल में आर्थिक मोर्चे पर सरकार को बहुत काम करना होगा ।
खुशामदीद 2020 , यूपी में खुशहाली लाना
मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ का सफर सुशासन के मोर्चे पर खासा कामयाब कहा जा सकता है । साथ ही अपनी पार्टी भाजपा को आगे बढ़ाने में उनकी कार्यशैली सहायक रही है । इसके बावजूद आने वाले समय में उनका सफर चुनौतियों भरा नज़र आता है । इसका कारण यह है कि सरकार के बेहतर कामकाज से जनता की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं । लोगों में धारणा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने में कामयाब रहे हैं और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं हैं । इस विश्वास को कायम रखना भी एक चुनौती होगी ।