आज नए साल का पहला दिन था, 1 जनवरी. साल के पहले ही दिन साहिल और उस के सब दोस्त घर के पास वाले गार्डन में खेल रहे थे. दोपहर तक उन का खेल खत्म हो गया और सब लोग अपने अपने घर लौट गए.
जातेजाते साहिल की एक दोस्त कविता ने पूछा, "नए साल का तुम्हारा क्या संकल्प है? मैं ने तो इस साल मां के घरेलू काम में मदद करने का संकल्प लिया है."
कविता की बातें सुन कर साहिल और उस का एक मित्र नीलेश बोला, "मैं ने रोज कसरत और योगा करने का संकल्प लिया है. एकएक कर साहिल के सब दोस्त अपने अपने संकल्प बता रहे थे."
सब की बातें सुनने के बाद साहिल ने सब से कहा, "मैं ने अभी तक अपना संकल्प निश्चित नहीं किया है, लेकिन मैं घर जा कर जरूर अपना संकल्प निश्चित करूंगा और कल तुम सब को बताऊंगा." इतना बोल कर सब लोग अपने अपने घर चले गए.
घर जाते ही साहिल अपने कमरे में बैठ कर नए साल के संकल्प के बारे में सोच रहा था. तभी साहिल की बहन सारा ने उसे अपने कमरे में उदास बैठे देखा. वह उस के कमरे में गई और उस से पूछा, "क्या हुआ साहिल? आज तुम इतने परेशान क्यों हो?"
साहिल ने जवाब दिया, "मेरे सारे दोस्तों ने नए साल के कुछ संकल्प लिए हैं, लेकिन मैं ने अभी तक एक भी संकल्प नहीं किया है. क्या तुम मेरी नए साल का संकल्प निश्चित करने में मदद करोगी?"
सारा ने कहा, "क्यों नहीं साहिल, लेकिन तुझे अपने संकल्प पर पूरे साल अडिग रहना होगा. बहुत से लोग नए साल में एक से ज्यादा संकल्प करते हैं और अपना संकल्प एकदो दिन बाद ही छोड़ देते हैं, लेकिन तुम्हें यह संकल्प हमेशा के लिए करना पड़ेगा. केवल इस साल ही नहीं तुम्हें यह संकल्प पूरे जीवन याद रखना होगा."
This story is from the January First 2023 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the January First 2023 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.