क्लास टीचर ने जैसे ही घोषणा की कि अगले सप्ताह से वार्षिक परीक्षा होगी, मौली नेवला और वैली सियार के चेहरे उतर गए.
“वैली, अब क्या होगा, मुझे तो कुछ भी नहीं आता,” स्कूल से लौटते हुए मौली घबराए स्वर में बोली.
"मौली, तुम तो ऐसे कह रही हो, जैसे मैं अल्बर्ट आइंस्टीन हूं और मुझे सबकुछ पता है, अरे, मैं भी निल बटा सन्नाटा हूं,” वैली ने चिढ़ कर कहा.
“यह तो मुझे भी पता है कि तुम पढ़ाई में जीरो हो, लेकिन अब हम ऐग्जाम में पास कैसे होंगे, ये सोचो.”
"इस में सोचने वाली कौन सी बात है, हमेशा की तरह इस बार भी हम डैरी के उत्तरों की नकल करेंगे और क्या, " वैली हंसते हुए बोला.
“नहीं, मैं डैरी की कौपी से नकल नहीं करूंगी. भूल गए पिछली बार कितनी मुश्किल से पास हुए थे, उसे भी कुछ नहीं आता है, वह पढ़ाई में एकदम फिस्सडी है."
"हां, तुम ठीक कह रही हो. उसे तो यह भी नहीं कि हमारा राष्ट्रीय पुष्प गुलाब नहीं है."
“और क्या, हमारा राष्ट्रीय पुष्प तो गेंदा है, " मौली ने अपना ज्ञान बघारा.
"रिले.”
"रिले क्या?"
"इस बार हम रिले की नकल करेंगे,” वैली ने कहा तो मौली चौंक गई.
“क्या रिले हमें नकल कराने के लिए तैयार होगा?"
“मौली, मैं रिले को डराऊंगा तो फिर उस की क्या मजाल कि वह इनकार करे. वह देखो, रिले आ रहा है, चलो, उसे पकड़ें," वैली ने कहा और फिर उस ने तथा मौली ने सामने से आ रहे रिले को रोक लिया.
"रिले, हमें तुम से मदद चाहिए,” वैली बोला.
“हांहां, कहो, कैसी मदद चाहिए तुम्हें, मैं सब की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता हूं," वैली ने कहा.
"रिले, तुम हमें बस रोज 10 सवालों के जवाब बता देना."
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