"घर पर तो हम हर साल जन्मदिन मनाते ही हैं, क्यों न इस बार कहीं बाहर जा कर जन्मदिन मनाएं," मानव ने अपने साथियों से कहा तो सारे खुश हो गए.
"अरे वाह, फिर तो बड़ा मजा आएगा, पर केक के बिना जन्मदिन कैसा? चलो, पहले केक खरीदते हैं," तन्नू खुश हो कर बोली.
"हम रामू काका से भी कुछ दीये उधार ले लेंगे," राजीव ने कहा तो सारे चौंक गए..
"अरे भई, तुम लोग मेरा जन्मदिन मना रहे हो या दीवाली? यह दीए किसलिए?" साहिल ने पूछा.
"तुम अपना 11वां जन्मदिन मना रहे हो न, इसलिए हम लोग मिल कर 11 दीये जलाएंगे और फिर उन्हें नदी में प्रवाहित कर देंगे. सच में कितना मजा आएगा न?" राजीव बोला.
बच्चों ने पहले एक केक खरीदा और फिर रामू काका से 11 मिट्टी के दीये भी खरीद लिए. रामू काका भी बिना दीवाली के अपने दीये खरीदे जाने से खुश थे.
जन्मदिन का बाकी सामान जैसे फल, मिठाई, गिफ्ट आदि ले कर चारों दोस्त नदी के किनारे जा पहुंचे. वहां एक केयरटेकर की एक छोटी सी झोंपडी थी.
बच्चों ने उन से बात की.
"हमें थोड़ी देर के लिए आप का घर चाहिए. हम लोग यहां अपने दोस्त साहिल का जन्मदिन मनाना चाहते हैं."
"यह तो बहुत अच्छी बात है. तुम लोग आराम से यहां अपने दोस्त का जन्मदिन मना सकते हो. मुझे अभी किसी काम से जाना है, इसलिए मैं थोड़ी देर में लौट आऊंगा," इतना कह कर वह वहां से चला गया.
This story is from the April First 2023 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the April First 2023 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
नौर्थ पोल की सैर
\"अंतरा, तुम कई घंटों से क्रिसमस ट्री सजा रही हो, क्या तुम थकी नहीं,\" मां ने किचन में काम निबटाने के बाद कहा...
जलेबी उत्सव
चंपकवन के राजा शेरसिंह को कार चलाने का बड़ा शौक था. जाड़े की एक शाम को वह अकेले ही लंबी ड्राइव पर निकल पड़ा...
मिशन सांता क्लौज
यह एक ठंडी, बर्फीली रात थी और शिमला की सभी सड़कें रोशनी में जगमगा रही थीं. करण, परी और समीर क्रिसमस मनाने के लिए उत्साहित थे. हर साल की तरह वे क्रिसमस के मौके पर समीर के घर सोने जा रहे थे, लेकिन इस साल उन्होंने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक अतिरिक्त कार्यक्रम की योजना बनाई थी...
अनोखा क्रिसमस
\"क्या तुम्हें मालूम है कि क्रिसमस आ ही वाला है?\" ब्राउनी सियार ने अपने दोस्त ब्रूटस भेड़िया से झल्लाते हुए पूछा...
उड़ने वाली बेपहिया गाडी
दिसंबर की शुरुआती ठंडी धुंध भरी सुबह थी और डैनियल भालू अपने मित्र हौपी खरगोश से मिलने गया हुआ था...
औपरेशन चौकलेट कुकीज
\"क्या सैंटा इस बार क्रिसमस की पूर्व संध्या पर तुम्हारे घर आएगा?\" निशा ने जूली से पूछा...
रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"