श्रद्धा ने रिया को बताया, "मैं उस कागज के टुकड़े को देख कर घबरा गई थी."
रिया ने कहा, "क्यों घबरा गई थी?"
"देख, परीक्षा चल रही थी. किसी ने मेरी तरफ कागज का टुकड़ा फेंक दिया था. तुझे याद है, मैं घर से आते समय ऐसे ही कागज के टुकड़े पर कुछ नोट्स लिख कर लाई थी ताकि रास्ते में याद कर सकूं."
"हां," रिया ने कहा, "फिर?"
"जैसे ही टेबल के पास वह कागज का टुकड़ा देखा. मैं घबरा गई. पर्यवेक्षक ने देखा तो क्या होगा? मुझे नकल करने के लिए पकड़ सकती थी."
"फिर?"
"घबराहट में दिमाग काम करना बंद कर देता है. इसलिए मैंने एक लंबी सांस ली. मन को शांत किया. फिर सोचा कि शिक्षक को बताना बेहतर होगा कि कागज का एक टुकड़ा वहां पड़ा है," पर मैं ने सोचा कि यदि मेरे हाथ का लिखा हुआ कागज निकला तो क्या होगा?
"तभी दिमाग से आवाज आई. क्या होगा? यदि टीचर डांटेंगी. कागज का टुकड़ा नकल करने के लिए लाई थी. तब मुझे इस से इनकार करना होगा और कहना होगा कि मैं इसे नहीं लाई थी," श्रद्धा बोली. यह विचार आते ही मैं ने टीचर को आवाज दी.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin April First 2023 sayısından alınmıştır.
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