उस ने किसी की बात नहीं मानी और दिन भर अपनी मनमानी करता रहा. कोड़ी उसे ले कर बहुत चिंतित रहती थी. हर कोई उस की शिकायत करता था. कई बार अपनी हरकतों के कारण उसे मार भी सहनी पड़ती थी. मार से उस के शरीर पर लाल निशान पड़ जाते थे.
कोड़ी ने उस के घावों पर दवा लगाई और समझाया, "बेटा, तुम्हें ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिस से दूसरों के साथ तुम्हें भी परेशानी हो."
"मां, आप वनवासियों को जानती हैं. वे तिल का ताड़ बना देते हैं, गलती कोई भी करे, नाम मेरा लग जाता है."
"ऐसी बात नहीं है. वन में और भी जानवर हैं. कोई उन्हें ले कर बातें क्यों नहीं बनाता? सब तुम्हारे बारे में ही बातें करते रहते हैं."
"मां, आप उन की बातें मत सुना करो. मैं ऐसा नहीं हूं जैसा सब कहते हैं," चिप्पी बोला.
"कल से तुम खाने की तलाश में मेरे साथ चलना. देखो, तुम्हारा छोटा भाई गोल्डी हर समय मेरे सा रहता है."
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नौर्थ पोल की सैर
\"अंतरा, तुम कई घंटों से क्रिसमस ट्री सजा रही हो, क्या तुम थकी नहीं,\" मां ने किचन में काम निबटाने के बाद कहा...
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चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"