भारी भीड़ और पुलिस की मौजूदगी देख कर चीकू और ब्लैकी सेठ ताराचंद के घर पहुंचे. जैसे ही उन्हें चोरी की घटना के बारे में पता चला तो वे जोरजोर से बातें करने लगे.
"ओह, यह तो मामूली चोरी का मामला है? हमारा यहां रुकना बेकार है. हम इतने छोटे मामले में क्यों पड़ें?” ब्लैकी ने मुंह बनाते हुए कहा.
“बिलकुल, ऐसे बेकार मामले पर ध्यान देना हमारे सम्मान के खिलाफ है. कोई बड़ा काम होता तो हम केस सौल्व भी करते,” चीकू ने अपने आसपास खड़े चंपकवन के निवासियों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हुए गर्व से कहा.
“अरे, यह तो चीकू और ब्लैकी जासूस हैं,” हीरा हिरण ने कहा.
जैसे ही यह बात सेठ ताराचंद को पता चली, वे उन के पास पहुंचे.
“जासूसो, मुझे खुशी है कि तुम यहां हो, अब तुम चोर को आसानी से पकड़ लोगे और मेरे 40 लाख के हीरे दिलवा दोगे,” सेठ ताराचंद की आंखें भर आईं.
“सौरी, ताराचंद, हम मामूली चोरी के केस नहीं निबटाते,” चीकू और ब्लैकी एक स्वर में बोले.
“यह केस बिलकुल भी साधारण नहीं है? अभी तक तो यही पता नहीं चल पाया कि चोर अंदर आया कहां से था?” सेठ ताराचंद जल्दी से बोला.
“क्षमा करना सेठ ताराचंद, चोरी के केसों में हमें महारत हासिल नहीं है," ब्लैकी अपने हाथ मोड़ते हुए बोला.
“कृपया मैं तुम से विनती करता हूं, मेरे हीरों का तो अभी तक बीमा भी नहीं हुआ था,” सेठ ताराचंद बारबार चीकू और ब्लैकी से अनुरोध करने लगा.
“अब क्या होगा ब्लैकी? ताराचंद तो हमारे पीछे ही पड़ गया,” चीकू धीरे से बोला.
“सच, मुझे लगा था कि सब हमारी बात सुन कर हम से प्रभावित होंगे और हम बातें बना कर यहां से चले जाएंगे, लेकिन यह तो हम ने सोचा ही नहीं था कि हमारे सिर यह मुसीबत आ जाएगी,” ब्लैकी बुदबुदाया.
“वह तो ठीक है, लेकिन हमारी योजना क्या है?”
ब्लैकी ने सुझाव दिया, “हम कुछ समय चोर पकड़ने का नाटक करते हैं. तब तक इंस्पैक्टर चंदू असली चोर को पकड़ ही लेगा,” चीकू ने सहमति में सिर हिलाया.
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