सौंफ का शरबत जठराग्नि यानी भूख को बढ़ाता है। जो लोग गठिया वात से पीड़ित हैं, उनके लिए भी यह अत्यंत गुणकारी माना गया है। शरबत
शरबत को आयुर्वेद में पानक कल्पनाओं के अंतर्गत बताया गया है। आयुर्वेद में नींबू, सौंफ, पुदीना, खीरे, बेल, गन्ने के शरबत सहित कच्चे आम के शरबत का उल्लेख चिकित्सोपयोगी बताया गया है। बस, ध्यान रखने की बात यह है कि ये सभी शरबत घर पर शुद्धता से बनाए जाएं।
चिकित्सा के दृष्टिकोण से नींबू का शरबत शरीर के विजातीय पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर की शुद्धि यानी डिटॉक्स करता है। गर्मी में यह शरबत शरीर को हाइड्रेट यानी जलीयांश की पूर्ति करता है। यह शरबत शरीर में स्थित अत्यधिक फैट का विलयन भी करता है और विटामिन सी की पूर्ति कर इम्युनिटी को भी बढ़ाता है। है बस, जिन्हें हाइपर एसिडिटी की समस्या है, उन्हें यह शरबत अधिक मात्रा में खाली पेट लेने से बचना चाहिए।
सौंफ का शरबत जठराग्नि यानी भूख को बढ़ाता है। आयुर्वेद में इसे दीपन पाचन करने वाली पानक कल्पना के रूप में उल्लेखित किया गया है, यानी यदि आप भूख न लगने की समस्या से परेशान हों तो बस, एक चम्मच सौंफ पाउडर को पानी में घोलकर शरबत बनाकर पी लें और फिर देखें कमाल। ऐसे लोग, जो गठिया वात से परेशान हैं, उनके लिए भी यह शरबत अत्यंत गुणकारी है। अधिकांश चिकित्सक सौंफ के शरबत को अपने रोगियों को उपयोग करने की सलाह देते हैं।
पुदीने का शरबत अम्लपित्त यानी हाइपर एसिडिटी की समस्या में अत्यंत लाभकारी है। यह शरबत शरीर में अपच, गैस की समस्या को ठीक करता है। यह अरुचि को ठीक कर भोजन में रुचि को बढ़ाता है। इसी प्रकार खीरे का शरबत मूत्रजनक यानी डाइयूरेटिक होता है। इससे पथरी जैसी समस्या में भी लाभ मिलता है, साथ ही यह उच्च रक्तचाप को भी काफी हद तक नियंत्रित करता है।
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