धीरे-धीरे आपकी सुबह
Rupayan|June 07, 2024
सुबह का समय महिलाओं के लिए तनाव भरा होता है। वे सुबह उठते ही घर के काम निपटाने में लग जाती हैं। रोजाना की ऐसी दिनचर्या मानसिक सेहत पर बुरा असर डालती है। ऐसे में 'स्लो मॉर्निंग' की अवधारणा आपकी मदद कर सकती है, जिसमें आपके दिन की शुरुआत सौम्यता और शांति से होती है।
विनीता
धीरे-धीरे आपकी सुबह

सुबह 'एक और झपकी ले लेती हूं' सोचकर आपने अलार्म बंद कर दिया। अलार्म जब दोबारा बजा तो समय इतना हो चुका था कि आप हड़बड़ी में उठकर तेजी से किचन की ओर दौड़ीं। जैसे-तैसे किचन का काम समेट ही रही थीं कि बच्चों और पति को उठाने का समय हो गया। फिर किचन का काम आप खत्म करने ही वाली थीं कि पति बोलने लगे, "मेरे कपड़े कहा हैं? ढूंढकर दो।" आप पति को कपड़े देकर अपने काम करने लगी कि तभी बच्चों ने चीख-पुकार मचानी शुरू कर दी - "मेरी किताबें नहीं मिल रहीं, मम्मी। आज स्कूल में कलर बॉक्स लेकर जाना है, आपको मैंने बताया था। प्लीज ढूंढकर दे दो, वरना टीचर डांटेंगी।" इस बीच सास-ससुर की चीनी और बिना चीनी की चाय के साथ आपको अखबार भी तो देना है। फिर भी इतना सब करने के बाद कुछ न कुछ छूट ही जाता है और आपको बच्चों तथा पति को उनका टिफिन देने के लिए उनके पीछे भागना पड़ता है।

इन सबके बाद आप जैसे-तैसे खुद ऑफिस जाने के लिए अपने कामों में लगती हैं, लेकिन अगर आप समय की कमी की वजह से गीले बालों, बिना इस्त्री किए कपड़ों और हाथ में सैंडविच लेकर घर से भागते हुए निकलती हैं और अपने बाल संवारने तथा मेकअप करने जैसे काम मेट्रो या ऑफिस कैब में करती हैं तो एक बार अपनी इस हड़बड़ी और भागमभाग भरी सुबह के बारे में सोचें। क्या यह सही है? क्या आप इतने सबके बाद पूरा दिन सही काम कर पाती हैं? शायद नहीं, क्योंकि यह हड़बड़ाहट शारीरिक थकान के साथ ही मानसिक थकान को भी बढ़ाती है, जो कि तन के साथ मन को भी बहुत परेशान करती है। इससे आपको सिर दर्द और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं होने लगती हैं और आपके पास अपनी सहेली से बात करने के लिए घर की परेशानियों एवं इस भागमभाग के अलावा और कुछ नहीं होता है। ऐसे में क्यों न आप अपनी सुबह को खुशनुमा बनाने पर काम करें, ताकि तनावमुक्त होकर अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा कर सकें। इसमें विदेशों में अपनाई जाने वाली 'स्लो मॉर्निंग' की अवधारणा आपके लिए मददगार साबित हो सकती है।

क्या है 'स्लो मॉर्निग'

This story is from the June 07, 2024 edition of Rupayan.

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