सूरज की ऊर्जा से चलने वाला वाटर प्यूरीफायर : बेहतर भविष्य की ओर सफल कदम
Farm and Food|July-I 2023
इनसान की एक अनोखी ईजाद सैटेलाइट से भेजी गई तसवीरों में भले ही कहने को धरती के तीनचौथाई हिस्से में नीले रंग का पानी अपनी मौजूदगी दिखाता है, पर एक कड़वा सच यह भी है कि पूरी दुनिया में मौजूद कुल पानी में से महज 0.6 फीसदी पानी ही पीने लायक है, जो नदियों, तालाबों, झीलों आदि में ही मौजूद है. 8 अरब लोगों और धरती के दूसरे प्राणियों व वनस्पति के लिए यह आने वाले महासंकट का संकेत है.
सुनील शर्मा
सूरज की ऊर्जा से चलने वाला वाटर प्यूरीफायर : बेहतर भविष्य की ओर सफल कदम

शहरों, कसबों और उन के आसपास के देहाती इलाकों में तो लोग आरओ जैसी करामाती मशीन ने अपने हलक में उतारने लायक पानी जमा कर ही लेते हैं, पर दूरदराज के इलाकों और गरीब बस्तियों में हालात हमारी सोच से भी ज्यादा खराब हैं.

औद्योगिक कचरे ने तो नाक में दम कर रखा है. भारत के केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, गंभीर प्रदूषण फैलाने वाली तकरीबन 11 फीसदी औद्योगिक इकाइयां नियमों का पालन भी नहीं कर रही हैं. झारखंड में 87 फीसदी और पंजाब में 60 फीसदी गंभीर प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयां बिना किसी शोधन के अपना कचरा नदियों में गिरा रही हैं.

देश में गंभीर प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों की संख्या 2,497 है. इन में से 11 फीसदी इकाइयां नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, वहीं 84 फीसदी औद्योगिक इकाइयां अकेले 4 राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और गुजरात में मौजूद हैं.

Diese Geschichte stammt aus der July-I 2023-Ausgabe von Farm and Food.

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वर्तमान में कचरा एक गंभीर वैश्विक समस्या बन कर उभरा है. भारत की बात करें, तो साल 2023 में पर्यावरण की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन तकरीबन डेढ़ करोड़ टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है, जिस में से केवल एकतिहाई से भी कम कचरे का ठीक से निष्पादन हो पाता है. बचे कचरे को खुली जगहों पर ढेर लगाते हैं, जिसे कचरे की लैंडफिलिंग कहते हैं.

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हाल के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कर धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से अत्यधिक उत्पादन लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है, क्योंकि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी में कार्बांश की मात्र बेहद कम हो गई है, वहीं सेहत के नजरिए से भी रासायनिक उर्वरकों से पैदा किए जाने वाले अनाज और फलसब्जियां नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.

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