साथ ही राधा कृष्ण ने अपने प्रति गोप-गोपियों द्वारा किए गए निष्काम प्रेम के अधीन होकर जिस ब्रज रस की वर्षा की थी उसी को विश्व के पंचम मूल जगद्गुरु व प्रेमा भक्ति के प्रमुख आचार्य, भक्तियोग रसावतार, जगद्गुरु स्वामी श्री कृपालु जी महाराज ने प्रेम मंदिर के रूप में संसार के समक्ष मूर्तिमान स्वरूप में प्रस्तुत किया है। वस्तुतः प्रेम मंदिर श्यामा-श्याम द्वारा अपने प्रियजनों को लुटाए गए मधुरतम ब्रज रस की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है।
मंदिर का लोकार्पण
यद्यपि मंदिरों का शहर कहे जाने वाले वृंदावन में पांच हजार से भी अधिक मंदिर हैं परन्तु प्रेम मंदिर उन सभी में अद्भुत व विलक्षण है। जगद्गुरु स्वामी श्री कृपालु जी महाराज के कृपामय संरक्षण में संचालित जगद्गुरु कृपालु परिषद ने वृंदावन के छटीकरा रोड पर 54 एकड़ क्षेत्रफल में भव्य प्रेम मंदिर स्थापित कर जो कीर्तिमान स्थापित किया है वह स्तुत्य है। इस मंदिर का शिलान्यास 14 जनवरी 2001 को स्वयं श्री कृपालु जी के कर-कमलों द्वारा लाखों श्रद्धालुओं- भक्तों की उपस्थिति में हुआ था। इस मंदिर का लोकार्पण 17 फरवरी, 2012 को जगद्गुरु स्वामी श्री कृपालु जी महाराज के कर-कमलों द्वारा हुआ। श्वेत इटालियन करारे मार्बल पत्थर से बना यह अभूतपूर्व व ऐतिहासिक मंदिर लगभग 11 वर्ष में हजारों शिल्पकारों व श्रमिकों द्वारा किए गए दिन-रात के कड़े परिश्रम से बनकर तैयार हुआ है। यह मंदिर श्रीमद्भागवत का मूर्तिमान स्वरूप है। इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इस मंदिर के द्वारा प्राचीन भारतीय शिल्पकला का पुनर्जागरण हुआ है।
मंदिर की बनावट
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।