क्या है ओशो की कॉपीराइट और रॉयल्टी का सच?
Sadhana Path|December 2022
ओशो की कॉपीराइट और रॉयल्टी को लेकर भी कई लोगों की शिकायते रहती हैं कि कॉपीराइट के नाम पर लोगों की वेबसाइट, यू-ट्यूब पर से कंटेन्ट हटा दिया जाता है तो किसी को ओशो की पुस्तकें प्रकाशित करने पर रोक लगा दी जाती है। इस कॉपीराइट के पीछे कि सच्चाई क्या है, आइए जानते हैं इससे जूझते ओशो के विभिन्न संन्यासियों के माध्यम से?
शशिकांत 'सदैव'
क्या है ओशो की कॉपीराइट और रॉयल्टी का सच?

शो की कॉपीराइट और रॉयल्टी को लेकर मेरी बातचीत वर्तमान में ओशो वर्ल्ड के संपादक स्वामी चैतन्य कीर्ति से हुई प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश। 

ओशो की कॉपीराइट को लेकर आखिर मसला क्या है, क्यों लोगों को इससे जूझना पड़ता है।

ओशो की जो मूलभूत जीवन देशना है उसको समझना बहुत जरूरी है। जीवन में दो बातें काम करती हैं, लव एण्ड लौ । एक है प्रेम और दूसरी है नियम और प्रेम हमेशा से ही नियम-कानून से ऊपर है, श्रेष्ठ है। ओशो कहा करते थे कि 'कानून की आवश्यकता ही इसलिए पड़ी क्योंकि संसार में प्रेम है ही नहीं।

अगर प्रेम जीवन में होगा तो कानून की आवश्यकता ही नहीं जाती। क्योंकि जहां प्रेम है वहां कुछ गलत नहीं होता।' ओशो ने बड़ी उदारता से अपने शिष्य को काम पर लगाया अगर आप उनके 'प्रवचनों' एवं 'दर्शन डायरी' को देखेंगे तो आप पाएंगे कि ओशो लोगों को अपने काम के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जो भी लोग उनसे मिलने आते या दर्शन के लिए आते थे उनसे ओशो कहते थे कि 'आप मेरे लोगों को कार्य में सहयोग करें, मेरे काम को फैलाएं, ध्यान केंद्र खोलें ।' जिसकी कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती थी, कोई कानून नहीं होता था, बस आंखों में देखा और निर्देश दे दिया की मेरा काम करना। 

मेरा ओशो से मिलना काम के सिलसिले में ही अधिक रहा है क्योंकि पत्रिका का संपादक था। उनका निर्देश बिल्कुल स्पष्ट था, बड़े चाव से वो पत्रिका देखते थे। लेकिन कई-कई वर्ष बीत जाने के बाद भी हमें कभी कोई सुझाव नहीं देते थे। एक तरह से उन्हें हम सब पर बहुत ज्यादा विश्वास था। हम कई बार उनसे पूछते भी थे कि 'आपको पत्रिका कैसे लगी? लेकिन एक बार भी कभी कोई सुझाव नहीं आया कि आप गलत कर रहे हो।

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