आखिर कौन हैं ये नागा साधु ?
Sadhana Path|January 2023
महाकुम्भ के मेले में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहने वाले नागा साधुओं के बारे में हर कोई यह जानना चाहता है कि आरिवर कौन हैं ये ? क्या है इनकी अनोखी वेष-भूषा का रहस्य ? तो आइए जानते हैं इस लेख के माध्यम से।
नीलम
आखिर कौन हैं ये नागा साधु ?

भभूत के आवरण से ढका वस्त्रविहीन शरीर, कमर में फूलों की माला, आंखों में काजल, माथे पर रोली का लेप, हाथों में चिमटा, डमरू या कमंडल, जटाएं, बाजुओं और गले में रुद्राक्ष की माला। ये वर्णन है नागा साधुओं का, जिन्हें देख कर सभी के मन में उनके बारे में जिज्ञासा का जन्म अवश्य होता है। अपने शृंगार से महिलाओं को भी मात देते ये नागा साधु जब महाकुम्भ के समय लाखों की संख्या में नजर आते हैं तो इनके बारे में अधिक से अधिक जानने का ख्याल हम सभी के मन में एक न एक बार जरूर आता है।

उत्पत्ति का इतिहास

कुछ लोगों का मानना है कि शैव पंथ से बहुत सारे संन्यासी पंथों और परंपराओं की शुरुआत हुई है, नागा साधु भी उनमें से एक हैं।

सिकंदर जब भारत आया था तो उसके साथ आए अन्य यूनानियों ने भी यहां अनेक दिगंबर साधुओं को देखा था, अर्थात् ये बहुत पुराने समय से ही भारत में हैं एवं कुछ इतिहासकारों का मत है कि जैन धर्म के दिगंबर साधु और हिंदुओं में जो नागा संन्यासी हैं वे दोनों एक ही परंपरा से निकले हुए हैं तथा उनका ये भी मानना है कि बुद्ध और महावीर भी इन्हीं साधुओं के दो प्रधान संघों के अधिनायक थे। वहीं कुछ लोग इसे शिव से जोड़कर देखते हैं।

शाब्दिक अर्थ

कुछ विद्वानों की मान्यता है कि नागा शब्द संस्कृत का है जिसका तात्पर्य 'पहाड़' से है और इसपर रहने वाले लोग 'पहाड़ी' या 'नागा' कहलाते हैं।

'नागा' का अर्थ नंगे रहने वाले व्यक्तियों से भी है। इसके अलावा कच्छारी भाषा में नागा से तात्पर्य एक युवा बहादुर लड़ाकू व्यक्ति से लिया जाता है।

प्राचीनता

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