भारतीय रीति-रिवाज के अंतर्गत जन मानस के साथ त्योहारों का घनिष्ठ रिश्ता रहा है। कृषि प्रधान होने की वजह से ज्यादातर त्योहारों की पृष्ठभूमि में कृषि रही है। विश्लेषण करने से विदित होता है कि भारतवर्ष के पर्व-त्योहार, नक्षत्र, महीने मौसम के ऊपर आधारित हैं। धरा पर रहने वाले मानव, जीव-जन्तु पक्षी और कीड़े अनेक वजहों से सूर्य के प्रति कृतज्ञ हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त की वजह से धरा पर तमाम प्रकार के बदलाव होते हैं। चूंकि सूर्य प्रकाश और ऊष्मा देता है। प्रकाश तथा ऊष्मा की सहायता से वनस्पतियों का भोजन उपलब्ध हो पाता है। भारतीय त्योहारों के पीछे सूर्य की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। हिन्दू काल गणना के मुताबिक माघ माह के शुरू में अर्थात् जनवरी के मध्य में सूर्य क्रमशः उत्तर की दिशा में उदय होने लगता है, जिसे उत्तरायण कहते हैं। सूर्य का उत्तरायण होना लोक मंगलकारी शुभ क्षण माना जाता है। इसके प्रारंभिक दिवस को बेहद पवित्र माना जाता है। उसी दिन को भारतीय रीति-रिवाज में मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है।
• उत्तर भारत में इसको 'खिचड़ी पर्व' कहते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर लोग सामूहिक रूप से गंगा-यमुना या पवित्र सरोवरों, नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन गंगा नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है। सूर्य का प्रतिनिधि ताम (तांबा) या स्वर्ण है। अतः अर्ध्य प्रदत्त करने के लिए तामपात्र ही श्रेयस्कर होता है। जनश्रुति है कि प्रयाग के कुंभ मेले में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वही पुण्य मकर संक्रांति के दिन नदी में स्नान करने से प्राप्त होता है। ठंड के बावजूद भारी तादाद में लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं। सूर्य उदय होने से पहले स्नान कर सूर्योदय के साथ-साथ सूर्य की आराधना करते हैं। स्नान के साथ तिल-गुड़ के लड्डू एवं खिचड़ी देने और खाने के की रीति रही है।
This story is from the January 2023 edition of Sadhana Path.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the January 2023 edition of Sadhana Path.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।