सर्दी का मौसम यूं तो बड़ा ही सुहावना होता है और यही वह समय होता है, जब हम शरीर की ऊर्जा में बढ़ोतरी कर पाते हैं। सर्दियों में जितने विटामिन्स और पौष्टिक तत्त्व शरीर को मिलते हैं, वह साल भर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी होते हैं। लेकिन सर्दियों में सर्दी-जुकाम जैसी बिमारियां आम हैं। इसलिए सर्द मौसम में भी शारीरिक गतिविधियों को बनाए रखना और सक्रिय रहना बेहद जरूरी होता है।
सर्दी में भी रहें चुस्त
इस मौसम में भूख ज्यादा लगती है, दैनिक गतिविधियां थोड़ी धीमी गति से चलने लगती हैं। मौसम का प्रभाव कुछ ऐसा होता है कि आमतौर पर लोग उच्च कैलोरी भोजन लेने लगते हैं। इसके चलते वजन बढ़ने, अवसाद, थकान और एकाग्रचित्तता में कमी जैसे लक्षण उभरते हैं। इसलिए दिनचर्या को व्यवस्थित रखना जरूरी है। सूरज की रोशनी जहां हार्मोन स्तर को सुचारू रखती है, वहीं ताजा हवा में व्यायाम करने से कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम को दुरुस्त रखा जा सकता है।
हार्मोन्स में होने वाले बदलाव
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विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर, माहूर और नासिक इन स्थानों पर मां अंबे के साढ़े तीन पीठ हैं। ये सभी शक्ति पीठ जागृत धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके महत्त्व और आख्यायिकाओं के बारे में जानें इस लेख से।
बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
पुष्पक विमान में बैठ कर राम, सीता व लक्ष्मण अनेक तीर्थस्थलों का भ्रमण करने के पश्चात अयोध्या लौट रहे थे। चौदह वर्ष पश्चात अपनी मातृभूमि के दर्शन के इस विचार से ही श्रीराम गदगद् हो उठे।
जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिना कसरत के वजन कम करें, अपनाएं ये टिप्स
व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।