12 जनवरी, 1863 ई. में कलकत्ता के एक संपन्न परिवार में विवेकानंद जन्म हुआ। पिता 'विश्वनाथ दत्त' एक प्रसिद्ध वकील थे। माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं।
माता जी रात्रि में उन्हें जब रामायण की कहानियां सुनाती तो वे हनुमान जी की बहुत प्रशंसा करते साथ ही भगवान शिव को अपना आराध्य मानते और अक्सर अपनी मां से हंसकर कहते, 'मां मैं शिव हूं।' उनकी बातें सुन मां मन ही मन डरती और सोचने लगती कि कहीं ये भी अपने दादा जी की तरह संन्यासी ना हो जाए। उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि बचपन से ही वो अपने से छोटे ही नहीं बड़े बच्चों का भी नेतृत्व किया करते थे, इनसे बड़े बच्चे भी इन्हें अपना नेता कहने में नहीं झिझकते थे। घर के खुले वातावरण ने नरेंद्र की बहुमुखी प्रतिभा को उभारने में पूरा योगदान दिया। नरेंद्र स्वभाव से ही दानशील थे। द्वार पर आए किसी भी साधु को खाली हाथ लौटाना उन्हें नहीं भाता था। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के होने के कारण नरेंद्र सदैव अध्यापकों के चहेते शिष्य रहे। अध्यापकों ने कई बार देखा कि वे एक ही समय में दो विपरीत मनोदशा वाले कार्य भी सहजतापूर्वक कर लेते थे। तैराकी, घुड़दौड़, खेल-कूद के अलावा वे वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी उत्साहपूर्वक भाग लेते।
नरेंद्र ने संगीत के प्रति रुचि विरासत में पाई थी। उन्होंने निरंतर पठन-पाठन से मस्तिष्क की शक्ति का इतना विकास कर लिया था कि वह पृष्ठ की प्रथम और अंतिम पंक्ति पढ़ कर ही लेखक का आशय जान लेते थे। इस विषय में वे स्वयं लिखते हैं- जब कहीं लेखक वाद-विवाद के द्वारा अपनी बात के स्पष्टीकरण के लिए चार-पांच पृष्ठ या इससे भी अधिक पृष्ठ ले लेता, वहां मैं कुछ पंक्तियों को पढ़ कर ही उनके तर्क के झुकाव को समझ लेता।
नटरबट बालक नरेन्द्रनाथ
धीरे-धीरे बालक नरेन्द्रनाथ कुछ बड़े हुए, तो उनका नटखटपन बढ़ता गया। प्रारंभ में उनका यह गुण बालसुलभ चपलता समझा गया, किंतु अवस्था बढ़ने के साथ-साथ उनका नटखटपन उद्दण्डता में बदलता गया। नरेन्द्र पर भय या डांट-फटकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।