योग एक मार्ग अनेक
Sadhana Path|June 2024
परमात्मा हो या परमशांति या फिर गणित का कोई भी छोटा सा सवाल। इन तक पहुंचने के या सवाल को हल करने के भले कई मार्ग व माध्यम होते हैं परंतु इनका उत्तर एक ही होता है ऐसे ही योग की भी विभिन्न शाखाएं हैं, विभिन्न आसन और अवस्थाएं हैं परंतु सबकी मंजिल, सबकि उपलब्धि एक ही है।
योग एक मार्ग अनेक

योग शब्द सुनते ही अधिकतर लोगों के मन-मस्तिष्क में शारीरिक आसन, प्राणायाम आदि आ जाते हैं। लोग सोचते हैं योग यानी योगासन। योगासन योग का ही एक हिस्सा है पर यह योग को सही मायने में परिभाषित नहीं करता। योग का अर्थ है 'जोड़' किन्हीं दो चीजों का मिलन, सन्धि। शरीर के विभिन्न आसनों के माध्यम से जब हम प्रकृति से जुड़ते हैं या अपने भीतर के अस्तित्व को बाहर के अस्तित्व से जोड़ते हैं तो उसे तथाकथित 'योगासन' कहते हैं। पर जब योग परमात्मा को, परमशांति को, परम आनंद को, परम शक्ति, परम सत्य व सत्ता को पाने के लिए किया जाता है तो इसका अर्थ और गहरा और भिन्न हो जाता है।

हर मनुष्य एक दूसरे से भिन्न है। सबका स्वभाव व प्रकृति भी अलग-अलग है। यही कारण है कि सबके विचार, मार्ग, उद्देश्य, सिद्धांत व मान्यताएं आदि भी भिन्न हैं। कोई अंतर्मुखी है तो कोई बहिर्मुखी, कोई आस्तिक है तो कोई नास्तिक, कोई व्यावहारिक है तो कोई औपचारिक, किसी का दृष्टिकोण वैज्ञानिक है तो किसी का काल्पनिक, कोई आध्यात्मिक है, तो कोई सांसारिक, इतनी भिन्नता के कारण ही आज धरती पर अनेक धर्म, वाद, भाषाएं, मान्यताएं, संस्कृति व परमपराएं आदि हैं पर इतनी भिन्नता के बावजूद भी जो सब में एक चीज सामान्य है वह है सुख-शांति की खोज, सुकून और आनंद की तलाश। फर्क ये है कि आस्तिक आदमी के मार्ग भावनाओं एवं संवेदनाओं से होते हुए परमात्मा तक जाते हैं और नास्तिक आदमी के मार्ग तर्क एवं व्यावहारिकता से होते तथ्य तक पहुंचते हैं। पर दोनों ही परम तक पहुंचना चाहते हैं फिर वह परम आत्मा हो या परम शांति, परम शक्ति हो या परम अस्तित्व, परम चेतन्य हो या परम मुक्त। उस परम को पाना सभी चाहते हैं।

This story is from the June 2024 edition of Sadhana Path.

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