तेज गर्मी और साथ में मौसम की बढ़ी नमी। नतीजा, ढेरों समस्याएं। जानकारों की मानें तो गर्मी और नमी का मिलना घातक हो सकता है। नतीजा, कई अप्रत्याशित स्वास्थ्य समस्याएं। जब हवा में नमी अधिक होती है, तो गर्म नमी हमारी त्वचा पर ज्यादा वक्त तक रहती है, जिससे हमें और भी अधिक गर्मी का अहसास होता है। अधिक नमी के कारण हीट स्ट्रोक, ब्रेन डिसऑर्डर से लेकर डिप्रेशन, संक्रमण सरीखी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, तेज गर्म हवाएं शरीर में पानी की कमी, हीट स्ट्रोक, त्वचा, दिल से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकती है। ज्यादा नमी शरीर पर गर्मी के प्रभाव को तेज कर सकती है, जिससे बेहोशी के दौरे, हीट स्ट्रोक, दिल का दौरा और मूड स्विंग आदि का सामना करना पड़ सकता है। अब सवाल उठता है भला ऐसा होता क्यों है? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब नमी त्वचा पर ज्यादा देर तक रहती है तो शरीर का ठंडा होना मुश्किल हो जाता है।
सेहत पर लगता है बट्टा
नमी सबसे पहले आपकी सेहत पर बट्टा लगाती है। आर्द्रता यानी नमी सांसों से जुड़े संक्रमण और एलर्जी का कारण बनती है। इस मौसम में फफूंद का बढ़ना भी संक्रमण का कारण बनती है। एक अध्ययन में पाया गया कि जब आर्द्रता 50 प्रतिशत से कम होती है, तो फफूंद की आबादी सबसे कम होती है, जबकि आर्द्रता 80 प्रतिशत से अधिक होने पर उसमें खासा इजाफा हो जाता है। इनका भी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दिल की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए यह चुनौतियां बढ़ा देता है। यह स्थिति बच्चों के लिए भी घातक होती है क्योंकि यह उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता को कम करता है, जिससे वे वायरल संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील हो जाते हैं। आर्द्रता से बचने के लिए घर में ह्यूमिडफायर का इस्तेमाल किया जा सकता है। अपने आहार में बहुत सारे फल और सब्जियां शामिल करें। शरीर में पानी के स्तर को ठीक रखें। इसके लिए हर रोज चार लीटर पानी पिएं।
उबासी या थकान होती है महसूस
This story is from the July 23, 2022 edition of Anokhi.
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