दुखी मन अकेले में या अंधकार की ओर क्यों भागता है? खुशियों में हम दिए क्यों जलाने लगते हैं? उत्साह है तो हम तेज संगीत से जाहिर कर देते हैं और प्रेम है, तो संगीत के सुर बदल जाते हैं। दरअसल, हमारे मूड और हमारी आसपास की चीजों के बीच एक गहरा ताल्लुक है। कई दफा हम अपने भाव को दर्शाने के लिए कुछ खास माहौल बनाते हैं तो कई बार हमारे आसपास का माहौल ही हमारे मन को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करने लगता है। शाम ढले छोटे कमरे में बल्ब की धीमी रोशनी कई बार एक अजीब-सा तनाव महसूस कराने लगती है, वहीं बड़ा कमरा, हल्का रंग और अच्छी रोशनी खुलेपन का अहसास कराती है। इससे जाहिर होता है कि इंटीरियर का हमारी मानसिक सेहत पर खास प्रभाव पड़ता है। अगर कुछ जतन करने भर से आपका मूड अच्छा हो सकता है, तो आपको इसमें देर नहीं करनी चाहिए। इंटीरियर के छोटे बदलाव मिजाज में बड़े परिवर्तन ला सकते हैं।
सबसे पहले, समेटे बिखरा
घर घर कितना भी सुंदर हो, अगर बिखरा रहेगा तो मन पर बुरा प्रभाव ही डालेगा। सबसे पहली जरूरत है, घर को व्यवस्थित रखना। ऐसे में सामान को सही जगह पर रखने के साथ ही आपको तसल्ली से यह भी तय करना होगा कि कौन-सा सामान काम का है और कौन-सा नहीं। जो सामान पिछले कुछ सालों में अब तक काम नहीं आया वह आगे भी नहीं आने वाला। ऐसे सामान को घर से निकालें और घर को सांस लेने का मौका दें। ज्यादा उठने-बैठने और इस्तेमाल होने वाले कमरों में कम-से-कम सामान रखने की कोशिश करें। सामान रखने के लिए पर्याप्त स्टोरेज की व्यवस्था करें ताकि वे नजरों के सामने न रहें। इस काम के लिए आप बाजार से खूबसूरत ऑर्गेनाइजर भी खरीद सकती हैं। घर के सदस्यों में भी यह आदत डालें कि वे सामान को हमेशा निर्धारित जगह पर ही रखें। घर को व्यवस्थित बनाए रखने से मन में होने वाली उथल-पुथल खत्म होगी, मन शांत रहेगा और आपके तनाव में भी कमी आएगी।
सजावट हो कुछ ऐसी
This story is from the December 24, 2022 edition of Anokhi.
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