जब टीनएजर के सामने हार्ट अटैक आ जाए
Mukta|January 2023
आजकल जहां परिवार छोटे हो गए हैं, वहीं, बहूबेटा दोनों जब नौकरीपेशा हों तो घर में अकसर बुजुर्ग नौकर या पोतेपोती के सहारे होते हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि बूढ़े दादादादी की स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बच्चों और नौकरों को पता हो.
नसीम अंसारी कोचर
जब टीनएजर के सामने हार्ट अटैक आ जाए

'सोनू, सोनू' दादाजी की कमजोर आवाज बारबार बाथरूम से आ रही थी. सोनू स्टडीरूम में पढ़ रहा था. उस के मम्मीपापा और बहन मार्केट गए हुए थे. सोनू का अगले दिन क्लास टैस्ट था, इसलिए वह नहीं गया. थोड़ी देर दादाजी के साथ बैठ कर उस ने टीवी देखा, फिर पढ़ने की बात कह बगल के स्टडीरूम में चला गया. सोनू 7वीं क्लास का छात्र था. उम्र अभी 13 साल ही थी, मगर वह काफी समझदार बच्चा था.

बाथरूम से दादाजी की आवाज आते ही वह कुरसी से उछल कर उधर भागा जरूर कुछ गड़बड़ है. लगता है दादाजी बाथरूम में फिसल गए हैं. मगर बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद था. सोनू ने जोरजोर से खटखटाया मगर दरवाजा नहीं खुला. अब दादाजी की आवाज भी आनी हो गई थी. सोनू बुरी तरह घबरा गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे. एक क्षण बाद ही वह चैतन्य हुआ और उस ने बाहर के दरवाजे की ओर रेस लगा दी. कालोनी के फाटक पर 2 गार्ड हमेशा होते थे. सोनू उन को ले कर भागाभागा घर के अंदर आया. गार्ड्स ने मौके की नजाकत को समझा और उन में से एक दरवाजे की चिटखनी तोड़ने में लग गया, दूसरे ने तुरंत एम्बुलैंस को फोन मिला दिया.

इसी बीच सोनू ने भी अपने पापा को फोन कर के जल्दी घर लौटने को कहा. दोनों गार्ड्स ने धक्का मारमार कर दरवाजा खोल लिया. अंदर दादाजी कमोड के पास गिरे पड़े थे. वे बेहोश थे. गार्ड ने उन की नाक पर उंगली लगा कर देखा तो सांस चल रही थी. इतनी देर में सोनू ने पड़ोस के मानवेंद्र अंकल को भी बुला लिया. उन्होंने दादाजी के मुंह पर पानी के छींटे मारे मगर उन को होश नहीं आया. 10 मिनट में एम्बुलैंस आ गई और मानवेंद्र अंकल बिना समय गंवाए दादाजी को अस्पताल ले गए. सोनू को भी उन्होंने साथ बिठा लिया और फोन पर उस के पिता को सूचना दे दी कि वे सीधे अपोलो हौस्पिटल पहुंचें.

हौस्पिटल स्टाफ ने तत्परता दिखाई और दादाजी को इमरजैंसी में तुरंत डाक्टर ने अटैंड किया. पता चला कि उन को हार्ट अटैक पड़ा है. उन को इंजैक्शन दिए गए. कुछ देर बाद उन को होश आ गया, मगर हालत सीरियस थी. सोनू के मातापिता और बहन पहुंच गए थे. डाक्टर और मानवेंद्र अंकल नन्हे सोनू की तारीफ कर रहे थे कि उस की तत्परता के कारण ही दादाजी की जान बच गई, अगर हौस्पिटल लाने में 10 मिनट और देर हो जाती तो अनहोनी हो सकती थी.

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