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कृषि पर हल्का हाथ
कृषि आय दोगुनी करने की अब कोई चर्चा नहीं, हरित खेती पर जोर देना अच्छी बात है, लेकिन भविष्य के स्पष्ट रोडमैप के बगैर इस क्षेत्र को रियायतें जारी रहेंगी
उजियारा फैलाने के कुछ बड़े उपाय
शिक्षा बजट में ई-विद्या स्कीम पर खासा जोर दिया गया है. पर क्या इससे समर्थ-असमर्थ के बीच की खाई पट सकेगी?
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा दांव
मोदी सरकार ने राहत पैकेज के बदले देश को तेज आर्थिक विकास की राह पर ले जाने की मंशा से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए बटुआ खोला, मगर इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए योजनाओं को वाकई जमीन पर उतारना जरूरी
पटियाला का छुपा रुस्तम
'सबक सिखाने' की भावना से प्रेरित अमरिंदर भाजपा साझा मोर्चा इस चुनाव में प्रतीकों से अभूतपूर्व कोशिश में जुटा
बढ़ते जंगल की असलियत
वन क्षेत्र रिपोर्ट, 2021
चुनावी संग्राम में 'बाहरी' मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस शासित राज्यों के अलावा दूसरे दलों के मुख्यमंत्री अपनी या हमख्याल पार्टियों के प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय राजनीति में इस राज्य की अहमियत का अंदाजा लगता है
तो क्या योगी रच पाएंगे इतिहास?
योगी आदित्यनाथ भविष्य के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जो भारतीय राजनीति की दिशा बदल सकता है. वे उम्मीद और उत्साह से लबालब हैं लेकिन नए जोश से मैदान में आ डटे अखिलेश यादव उन्हें सियासी जीवन की सबसे कड़ी टक्कर दे रहे
निगरानी से चिढ़े चांसलर
दो कुलपतियों पर अनियमितता के लगे गंभीर आरोपों ने बिहार के विश्वविद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया है. लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई पर राजभवन की आपत्ति से सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी बढ़ गई है
आहत संवेदनाओं के रक्षक
शख्सियतः नरोत्तम मिश्र
'न मैं कभी हारा और न मैंने कभी हार स्वीकार की'
अपने दोबारा चुने जाने की संभावनाओं पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और विशेष संवाददाता प्रशांत श्रीवास्तव से अपने लखनऊ स्थित आवास पर बेबाकी से बात की. इस खास बातचीत के अंश
सीमा रेखा पर आकर ठिठके कोहली
विराट कोहली के टेस्ट कप्तानी छोड़ने से भारतीय क्रिकेट का ताकतवर रथ थम जाने की आशंकाओं से घिरा
लोकप्रिय क्षत्रप
भाजपा के 13 मुख्यमंत्रियों में योगी आदित्यनाथ भले सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री साबित हुए लेकिन बाकी तमाम राज्यों में गैर भाजपा मुख्यमंत्री अपने-अपने सूबे में खासे मकबूल हैं
ताकत की कूटनीति
चीन और पाकिस्तान अभी भी भारत के लिए बड़ी बाहरी चुनौतियां बने हुए हैं, लेकिन देश का मिज़ाज सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं ने भरोसा जताया कि सरकार उनसे बेहतर ढंग से निबट रही है. हालांकि जम्मू-कश्मीर को राज्य के दर्जे की बहाली पर लोगों की राय सख्त होती जा रही
पहाड़ में पार्टी बदलने का मौसम
उत्तराखंड की सियासी टूटफूट में बचे-उतराते लोगों में हरक रावत एक नाम भर है. वास्तव में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में भरपूर बागी हैं
आपदा में खोज लिया अवसर
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कहीं भी लड़ाई में नहीं है. ऐसे समय में जहां जाति का नशा सिर चढ़कर बोल रहा हो, वह 40 फीसद सीटें महिलाओं को देकर राजनीति को नारी केंद्रित बनाते हुए आपदा में अवसर तलाश रही
मोदी में है भरोसा...
इस छमाही जनमत सर्वेक्षण से पता चलता है कि लोगों की राय में प्रधानमंत्री अब भी बेहतरीन विकल्प, मगर चिंता की लकीरें पहले से और गहरी होकर उभरी
नया विपक्ष नया चेहरा?
कांग्रेस की किस्मत सुधारने के लिए राहुल गांधी पर दांव लगाना भले ही सबसे बढ़िया विकल्प हो, लेकिन भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन की अगुआई करने के लिए ममता बनर्जी को बेहतर उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा
मर-मरकर सीख रहे जीना
एमओटीएन के अधिकांश उत्तरदाताओं ने केंद्र सरकार के टीकाकरण अभियान और कोविड से निबटने के सरकारी प्रयासों को सराहा, ओडिशा इस महामारी से निबटने में शीर्ष पर रहा
ठसक भरी अगुआई
चालीस साल से अधिक उम्र की अभिनेत्रियां ओटीटी चार्ट में जलवा बिखेर रही हैं, जबकि बच्चन पिता-पुत्र सामान्य और ओटीटी दोनों वर्गों में शीर्ष पर हैं
कितने अहम आप के मान?
आप ने एक कॉमेडियन को 'भावी राजा' के रूप में पंजाब के चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन नेतृत्व की आभा पैदा करने के लिए भगवंत मान को कुछ ठोस करके दिखाना होगा
अपनी फिल्म में ऐक्टिंग? ना ना ना
फिल्मकार तिग्मांशु धूलिया आने वाले अपने नए वेब शो द ग्रेट इंडियन मर्डर, बेस्ट सेलर के फिल्मांकन, ऐक्टिंग और क्राइम स्टोरीज से खास लगाव पर
यह कितना खतरनाक?
ओमिक्रॉन को हल्का मानने की मूर्खता कतई न करें, कोविड के इस वैरिएंट का संक्रमण जंगल में आग की तरह फैल रहा है और कोई जोखिम उठाकर ही इसके प्रति बरत सकता है लापरवाही
भरोसे की डोज
आत्मविश्वास वर्धक बूस्टर शॉट की शुरुआत और कोविड के नए टीकों से ओमिक्रॉन और तीसरी लहर का असर कम होने की जगी उम्मीद
मायूसी का आलम
यह सिनेमाघरों के लिए तयशुदा पटकथा के मुताबिक ही हो रहा है. 16 दिसंबर को मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कमल ज्ञानचंदानी ने बड़े उत्साह से एक प्रेस रिलीज में कहा, "बड़ा परदा वापस आ गया है." फिल्म उद्योग सूर्यवंशी, स्पाइडरमैन: नो वे होम और पुष्पा की सफलता का जश्न मना रहा था. मार्वल फ्रैंचाइजी ने बॉक्स ऑफिस पर 202 करोड़ रुपए की कमाई की थी जबकि अल्लू अर्जुन-स्टारर पुष्पा: चैप्टर-1 200 करोड़ रुपए पार कर चुकी है. 2022 में अधिक भीड़जुटाऊ फिल्में कतार में थीं इसलिए माहौल में आशा थी. लेकिन तभी रंग में भंग डालने वाले कोविड 19 की वापसी ओमिक्रॉन वैरिएंट के रूप में हो गई.
परिसीमन की पीड़ा, सीटों का संतुलन
नए साल की पूर्वसंध्या पर घूमने जाने के लिए कश्मीर मुकम्मल ठिकाना था. पहाड़ों की चोटियां और घास के मैदान बर्फ में ढके थे. रात भर जश्न मनाने के लिए पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की भीड़ उमड़ आई थीं. मगर सुबह हुई, तो श्रीनगर की गुपकर रोड पर, जहां तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों और सरकारी अफसरों के घर और सुरक्षा प्रतिष्ठान के दफ्तर हैं, अफरातफरी का आलम था. बैरिकेड लगे थे और सुरक्षाकर्मी गाड़ियों को उच्च सुरक्षा वाले इलाकों में जाने से रोक रहे थे. मकसद उस संयुक्त विरोध प्रदर्शन को रोकना था, जो पीएजीडी (पीपल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन) के नेता-फारूख अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर और महबूबा मुफ्ती-उसी दिन परिसीमन आयोग के 'विभाजनकारी' मसौदे के खिलाफ करने वाले थे. फिर जो होना था, वही हुआ-तीनों नेताओं के साथ पीएजीडी के प्रवक्ता एम.वाइ. तारिगामी को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया.
नए दल नए गठजोड़
गोवा चुनाव की बड़ी खबर टीएमसी की एंट्री है, लेकिन राज्य की राजनीति में जोड़-तोड़ बदस्तूर जारी है, जबकि भाजपा सत्ता-विरोधी भावनाओं को रोकने में जुटी
फिर घिर आए डरावने काले बादल
कोविड के ओमिक्रॉन वैरिएंट ने फिर से सेवा क्षेत्र से जुड़े ज्यादातर कारोबारों को ठप करने का खतरा पैदा कर दिया है. मौजूदा स्वास्थ्य संकट की व्यापकता पर ही निर्भर है कि अर्थव्यवस्था को कितनी चोट पहुंचेगी
जाट लैंड में बनी जोरदार जोड़ी
एक दशक तक उपेक्षित रहने के बाद राष्ट्रीय लोक दल और उसके नए मुखिया जयंत चौधरी को किसान आंदोलन ने संजीवनी दी, विरासत वापसी को लेकर जयंत के लिए ये चुनाव करो या मरो जैसे
फ्लाईओवर से पंजाब में प्रवेश
पहचान के मसले पर अति संवेदनशीलता, सुरक्षा का प्रेत, टुकड़ों में बंटा अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य...क्या यह सब भाजपा के फायदे में तब्दील होगा?
डिजिटल चुनावी दंगल
नेताओं की फौज में तकनीक में पारंगत और अनाड़ी दोनों हैं, दिन में भगवा और रात में समाजवाद की सेवा करने वाले तकनीक में दक्ष फ्रीलांसर, आभासी बारूद की महक महसूस हो रही है...आखिर भारत अपना पहला केवल ऑनलाइन चुनाव प्रचार जो देख रहा है. पार्टियों के डिजिटल वार रूम किस तरह से काम कर रहे हैं?