आमतौर पर शांत रहने वाले जैन समुदाय ने 2022 के आखिरी कुछ दिनों में उत्तर भारत के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया. उनके गुस्से की दो फौरी वजहें थींएक तो ये कि उन्हें लगता है, केंद्र सरकार झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पर्वत पर उनके पवित्र तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी की धार्मिक पवित्रता की रक्षा करने की उनकी मांग पर टाल-मटोल कर रही है; दूसरी यह कि नवंबर 2022 में गुजरात के भावनगर जिले के पालीताना में शत्रुंजय पहाड़ियों पर स्थित भगवान आदिनाथ की चरण पादुका के अपमान पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. मध्य दिसंबर में कुछ अराजक तत्वों ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरे को भी तोड़ दिया.
विरोध तेज होने पर केंद्र और गुजरात की भाजपा सरकार ने इस समृद्ध और रसूखदार अल्पसंख्यक समुदाय को आश्वस्त करने के कदम उठाए. पालीताना मामले में गुजरात सरकार ने वहां एक स्थायी पुलिस चौकी बनाने के साथ ही 'जैन तीर्थस्थल से संबंधित दूसरे मामलों पर नजर रखने के लिए आठ-सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन कर दिया. वहीं, सम्मेद शिखरजी के बारे में केंद्र ने पारसनाथ पहाड़ियों के साथ ही करीब 49.3 वर्ग किमी के वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में सभी पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगाने का मेमोरंडम जारी कर दिया. लेकिन जैन समुदाय इससे संतुष्ट नहीं है और उसका विरोध प्रदर्शन जारी है. इन मुद्दों को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे दो जैन संतों की अब तक जान जा चुकी है.
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