चीन ने हाल ही में अपने यहां पाबंदियां हटाईं जिससे वहां बड़े पैमाने पर कोविड-19 का संक्रमण फैल गया. अमेरिका और कनाडा अब भी आस-पास ही मंडरा रहे कोविड, दोबारा आ धमके इन्फ्लुएंजा और जल्दी आ गए रेस्पिरेटरी सिनसिशियल वायरस (आरएसवी) की 'तिहरी महामारी' एक साथ झेल रहे हैं. भारत कुछ महीनों से चैन की सांस ले रहा है, जहां हाल के दिनों में नए मामलों और मौतों की संख्या जनवरी 2020 में वायरस के आगमन के बाद से सबसे कम दर्ज की गई. सार्स- कोव- 2 अब कम खतरनाक है. भारत में वायरस की पिछली लहरों और बड़ी तादाद में टीके लगने से भी गंभीर बीमारी के खिलाफ अर्जित रोग प्रतिरोधक क्षमता की रक्षात्मक परत बन गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने विदेश से आ रहे वायरस के नए रूपों के संभावित खतरे से सतर्क रहने की अपील की है. खासकर चीन का मौजूदा अनुभव खासी परेशानी पैदा कर रहा है.
हमें 2023 में जिन संक्रमणों से निबटना है, उनकी फेहरिस्त से कोविड- 19 अभी निश्चित रूप से गया नहीं है. वायरस अब भी आसपास ही है, पर सब कुछ तहस-नहस करके विदा हो जाने वाले हमलावर की तरह नहीं, बल्कि ज्यादातर यहां रहने आए नए किरायेदार की तरह. ओमिक्रॉन के नए रूपों की वजह से समय-समय पर बढ़ते संक्रमणों के कुछ झोंके आएंगे, पर डेल्टा- सरीखे मौतों के आंकड़े नहीं होंगे, जब तक कि कोई बेहद प्रचंड और संक्रामक नया रूप अचानक न आ धमके. हमें अपनी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को चौकस रखना और वायरस के खतरनाक रूप से निबटने के लिए तैयार रहना चाहिए, पर उसे एक ही बीमारी के लिए बहुत ज्यादा समर्पित नहीं करना चाहिए. हमारा स्वास्थ्य का एजेंडा कोविड के अलावा भी कई मोर्चों पर ध्यान देने और असरदार कार्रवाई करने की मांग करता है.
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