जनवरी, 2023 की 7 तारीख. दोपहर के करीब डेढ़ बजे रहे थे, तभी अचानक पुष्कर के पास बांसेली गांव का युवराज फोर्ट रिजॉर्ट गोलियों की आवाज से गूंज उठा. बाइक पर हेलमेट पहनकर आए तीन लोगों ने यहां मौजूद सवाई सिंह नाम के एक व्यक्ति के पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई. गोलियों का शोर जैसे ही थमा रिजॉर्ट से बाहर की तरफ भाग रहे एक युवक ने पिस्तौल हवा में लहराकर कहा, "आज हमने हमारे बाप की हत्या का बदला ले लिया है." इस युवक का नाम था सूर्यप्रताप सिंह, इसके पिता मदन सिंह एक पत्रकार थे. लहरों की बरखा नाम का अखबार निकालने वाले मदन सिंह अजमेर ब्लैकमेल कांड पर खबरें छापने वाले कुछ शुरुआती पत्रकारों में से एक थे और इसी वजह से उनकी हत्या की गई थी. सवाई सिंह पर इस हत्या का आरोप था.
राजस्थान की इस घटना की जड़ में 30 साल पहले का एक कुख्यात सेक्स कांड है, जिसे अजमेर फोटो ब्लैकमेल कांड के नाम से जाना जाता है. इस मामले को करीब तीन दशक हो गए हैं लेकिन इसके पीड़ित आज भी न्याय पाने से कोसों दूर हैं. इनके साथ ऐसा क्यों हुआ, यह जानने के लिए हमें पहले अजमेर फोटो ब्लैकमेल कांड की कहानी समझनी होगी.
यह मई-जून, 1992 की बात है. अजमेर के दो सबसे नामी गर्ल्स स्कूल सोफिया और सावित्री की छह लड़कियों की एक के बाद एक आत्महत्याओं ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था. दरअसल, ये लड़कियां अपनी उन नग्न तस्वीरों को लेकर बेहद परेशान थीं जो पिछले कुछ दिनों में शहर में सैकड़ों लोगों के पास घूम रही थीं. ये तस्वीरें ख्वाज मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम (दरगाह पर आने जायरीन की व्यवस्था देखने वाले) परिवारों से आने वाले बिगड़ैल रईसजादों और उनके दोस्तों ने खीचीं थीं.
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