उत्तर भारत में किसानों के लिए मार्च का 3 महीना अच्छा नहीं रहा. इसके दूसरे पखवाड़े में तेज हवाएं चलीं, औसत से लेकर भारी बारिश हुई और कुछ जगहों से तो ओलावृष्टि की भी खबरें आईं. नम मौसम जल्दी ही असामान्य गरम मौसम में बदल गया और अप्रैल की शुरुआत में तापमान सामान्य से 5-10 डिग्री ज्यादा था. यह पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े इलाकों में रबी की गेहूं की फसल के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
नरेंद्र तोमर की अगुआई वाले केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 1 मार्च को अनुमान लगाया था कि इस साल गेहूं का उत्पादन 11.21 करोड़ टन होगा. लेकिन निजी खरीदारों का कहना है कि यह इस साल 10.29 करोड़ टन तक ही सीमित रह सकता है. पीयूष गोयल की अगुआई वाले खाद्य मंत्रालय ने 1 अप्रैल को अनुमान लगाया कि गेहूं की फसल को करीब 8-10 फीसद का नुक्सान हो सकता है. तीन राज्यों-मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में गीले मौसम ने 5,23,000 हेक्टेयर से अधिक जमीन की फसल को प्रभावित किया है. इससे उत्पादन में उल्लेखनीय कमी और किसानों के लिए कटाई की लागत में वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ गई है. पंजाब और हरियाणा में नुक्सान का आकलन अभी किया जा रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के आंकड़ों के मुताबिक, साल के इस समय (1-31 मार्च) में दोनों राज्यों में 200 फीसद अधिक अतिरिक्त बारिश हुई है. इसके बुरे नतीजे होंगेकुल मिलाकर इन दोनों राज्यों ने पिछले साल पीडीएस (जन वितरण प्रणाली) के लिए खरीदे गए कुल गेहूं में 70 फीसद से अधिक का योगदान दिया था.
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