पिछला आम चुनाव कई ऐतिहासिक उलटफेरों का गवाह रहा. 2019 में भाजपा अपने पहले के प्रदर्शन को जबरदस्त तरीक से सुधारते हुए लोकसभा में 303 सीटें जीतने में कामयाब रही. वहीं कांग्रेस एक और अपमानजनक हार के साथ 52 सीटों पर अटक गई. लेकिन यहां एक और मोर्चे पर भाजपा ने कांग्रेस को पटखनी दी थी. तब पहली बार भाजपा को देश में सबसे ज्यादा महिला मतदाताओं के वोट मिले थे. इससे पहले यह दर्जा कांग्रेस को हासिल था.
चुनाव आयोग के मुताबिक 2019 के चुनाव में कुल 66.8 फीसद मतदान हुआ था और इसमें महिलाओं और पुरुषों की करीब-करीब आधी भागीदारी थी. इस चुनाव में भाजपा को कुल 37 फीसद वोट मिले थे और महिलाओं के लगभग 36 फीसद वोट उसकी झोली में आए, जिससे वह इस मतदाता वर्ग की सबसे पसंदीदा पार्टी बनकर उभरी. इसके मुकाबले कांग्रेस को सिर्फ 20 फीसद महिला मतदाताओं ने तरजीह दी थी.
भाजपा की तरफ महिलाओं का झुकाव अनायास भी नहीं लगता. 2014 के बाद केंद्र सरकार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू की थीं, जिनकी बड़ी लाभार्थी महिलाएं रहीं. महिलाओं को पार्टी और सरकार में जगह भी दी गई थी. इसके अलावा एक अहम बात यह भी रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाहे-बगाहे कई मौकों पर 'नारी शक्ति' का जिक्र करते रहे हैं. पार्टी अपनी सफलता में महिलाओं के योगदान को स्वीकार भी करती है जैसे बीते साल मार्च में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद में प्रधानमंत्री मोदी का कहना था, "हमारी इस जीत की सारथी महिलाएं रहीं."
हालांकि अब लगता है कि भाजपा महिलाओं के इस झुकाव को 2024 में पुख्ता तरीके से भुनाने की राह पर कमर कस चुकी है. पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते अभी से कई स्तरों पर काम शुरू कर दिया है. जनवरी, 2023 में नई दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री और भाजपा के सर्वोच्च नेता नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कार्यकारिणी के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा भी था कि पार्टी कार्यकर्ताओं को बड़ी से बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने पक्ष में लाने के लिए काम करना चाहिए.
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