एमजी मोटर इंडिया की तरफ से नीलसन ने हाल में जो अर्बन मोबिलिटी हैपीनेस सर्वे जारी किया, उसने देश के आठ शीर्ष शहरों के रोजमर्रा के मुसाफिरों के बारे में ढेरों रोचक लेकिन आम तौर पर पहले से ज्ञात बातों का खुलासा किया. बेशक यह अध्ययन उन परिवारों पर केंद्रित था जिनके पास कम से कम एक कार है.
सर्वे की मुख्य बातों में यह भी थी कि इन शहरों के रोज आने-जाने वाले तकरीबन 75 फीसद लोगों को पार्किंग की जगह खोजने में मुश्किलें पेश आईं और आधे से ज्यादा लोगों को पार्किंग की उपलब्धता के आधार पर यातायात का पसंदीदा साधन बदलना पड़ा या आने-जाने का वक्त बदलना पड़ा. इसके बावजूद बहुत बड़ी तादाद में उत्तरदाताओं ने सार्वजनिक परिवहन के बजाए अपने निजी वाहन को तरजीह दी, फिर भले ही सौ में से महज एक ने कहा कि वे कार में एक से ज्यादा सवारियों के साथ गए. सर्वे में 70 फीसद से ज्यादा उत्तरदाताओं ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अकेले या महज एक सवारी के साथ सफर किया. वहीं 80 फीसद से ज्यादा ने कहा कि शहर में एक से दूसरी जगह जाते वक्त उनकी कार में अगर कोई अकेला लगेज था तो वह लैपटॉप बैग था.
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