उस दिन पणजी से मुंबई वंदे भारत ट्रेन लॉन्च करने के लिए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 2 जून को रात के 9.30 बजे गोवा में उतरे, तो हवाई अड्डे पर उनकी आगवानी के लिए आए अफसरों के चेहरों पर अजीब उदासी पसरी थी. कुछ ही देर में बुरी खबर उन्हें बता दी गई कि ओडिशा में बालेश्वर के बाहानगा बाजार स्टेशन पर शालीमार-चेन्नै सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस, मालगाड़ी और बेंगलूरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के बीच तिहरी टक्कर हो गई है. वैष्णव इस इलाके को अच्छी तरह जानते थे, क्योंकि 1990 के दशक के आखिरी वर्षों में वे बालेश्वर के जिला कलेक्टर रहे थे और उन्हीं दिनों 1999 में उन्होंने ओडिशा में आए महा- चक्रवात के दौरान अपने अधिकार क्षेत्र में एक भी मौत न होने देने के लिए खूब नाम कमाया था. हादसे के बारे में सुनकर जो सबसे पहले काम वैष्णव ने किए, उनमें रेलवे के मुख्यालय स्थित वॉर रूम में फोन करके बड़े अफसरों से यह पता करना भी था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन टीम मौके पर भेज दी गई है या नहीं. फिर उन्होंने बालेश्वर में अपने संपर्कों को फोन करके पक्का किया कि बचाव और राहत के काम पूरे जोर से चलें. वैष्णव ने गोवा में नई वंदे भारत ट्रेन लॉन्च करने का कार्यक्रम रद्द कर दिया और विमान की उसी उड़ान से उलटे पैर राजधानी दिल्ली लौट आए. तड़के 3.30 बजे उन्होंने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के लिए चार्टर्ड उड़ान पकड़ी और इंस्पेक्शन ट्रेन से तीन घंटे का सफर तय करके दुर्घटना स्थल पर पहुंच गए. उनकी यह जल्दबाजी और हड़बड़ी वाजिब थी.
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