झारखंड में 2024 में बड़ा राजनैतिक बदलाव देखने को मिला. इस बदलाव के केंद्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन थे. दोनों ने कई कठिन राजनैतिक चुनौतियों का सामना किया. इसके बाद उनकी वापसी इतनी मजबूत हुई कि वे अब राजनीति की एक शानदार कहानी बन गए हैं.
नाटक की शुरुआत 31 जनवरी को हुई. उस दिन अपने आधिकारिक आवास पर कई घंटों तक चली पूछताछ के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अपनी गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. बहुत-से लोगों के लिए, ऐसी घटना राजनैतिक करियर के अंत का संकेत होती. मगर हेमंत और उनकी पत्नी कल्पना के लिए यह एक नई शुरुआत थी.
नेतृत्व को लेकर उभरी शून्यता और भूले जाने की आशंका के बावजूद इस जोड़े ने धैर्य, योजना और बदलाव के साथ एक अभियान चलाया. और इस संघर्ष का परिणाम नवंबर में एक शानदार चुनावी जीत के रूप में सामने आया.
साल की शुरुआत मुश्किल थी. अपने पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन की बिगड़ती तबीयत के कारण हेमंत को मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद अपनी कुर्सी चंपाई सोरेन को सौंपनी पड़ी जो भरोसेमंद तो थे मगर उतने तेजतर्रार नहीं. हेमंत के लिए वह इतनी निराशा का दौर था कि मार्च में उनकी भाभी सीता सोरेन तक ने पार्टी छोड़कर विरोधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया. यह जेएमएम के लिए एक बड़ा झटका था.
This story is from the January 08, 2025 edition of India Today Hindi.
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फिर उसी बुलंदी पर
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