सुले का पिता के राजनैतिक उत्तराधिकारी के तौर पर इस तरह राजतिलक कर दिए जाने के बाद तमाम नजरें उनके तेज-तर्रार चचेरे भाई और महाराष्ट्र के नेता विपक्ष अजित पवार पर हैं. अजित ने प्रभावी तौर पर एनसीपी में नंबर दो के तौर पर अपनी चचेरी बहन की नियुक्ति पर तत्काल कुछ कहने से मना कर दिया. उन्होंने मीडिया से कहा, "मैं बहुत संतुष्ट हूं. यह (कयासबाजी) गैरजरूरी है." अजित ने नव नियुक्त पदाधिकारियों के समर्थन में ट्वीट भी किया.
शरद पवार ने 2 मई को एनसीपी नेताओं और समर्थकों को यह ऐलान करके चौंका दिया था कि वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ देंगे. उस वक्त उनकी पार्टी का एक धड़ा भतीजे अजित की अगुआई में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) से नाता तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाने को आतुर बताया जा रहा था. माना जा रहा था कि पवार ने यह कदम पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने और अजित को उनकी जगह दिखाने के मकसद से उठाया था. पवार के ऐलान का मकसद पूरा भी हो गया. मायूसी और बेचैनी की चीखपुकार के बीच एनसीपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं, और दूसरी पार्टियों के कई राष्ट्रीय नेताओं ने भी, उनसे अपने कदम पर पुनर्विचार करने की मांग की. इस मंथन से और मजबूत होकर उभरने के बाद पवार ने 5 मई को अपना फैसला वापस ले लिया.
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