नं.1 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकशेन (आइआइएमसी), नई दिल्ली
चार पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए 1965 में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत स्थापित भारतीय जनसंचार संस्थान (आइआइएमसी) के दिल्ली केंद्र में उत्कृष्टता एक आदत है. यह अव्वल संस्थान इंडिया टुडे के बेस्ट कॉलेज सर्वे में पिछले छह साल से जनसंचार संस्थानों के शिखर पर बना हुआ है. यह अकारण नहीं है. हालांकि यह छह कोर्सों में नौ महीने लंबे पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की पेशकश भी करता है, संचार उद्योग में आइआइएमसी के छात्रों की मांग इन महीनों के दौरान उन्हें मिलने वाले कठोर प्रशिक्षण की वजह से सबसे ज्यादा है.
बीते सालों में आइआइएमसी का प्रभावशाली प्लेसमेंट रिकॉर्ड इसकी गवाही देता है. इस साल टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडिया टुडे और बिजनेस स्टैंडर्ड सहित 50 से ज्यादा मीडिया घरानों ने जुलाई में कैंपस भर्ती कार्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. अंतिम परीक्षा और कैंपस प्लेसमेंट में बैठने से पहले ही छात्रों को नौकरी के व्यक्तिगत ऑफर मिलने लगे हैं. पिछले साल 358 में से प्लेसमेंट अभियान में शरीक होना चुनने वाले 324 छात्रों को नौकरियां मिलीं, जबकि 70 से ज्यादा फर्म ने अभियान में हिस्सा लिया. औसत वेतन पैकेज 4.5 लाख रुपए सालाना था, तो 13 छात्रों को 13 लाख रुपए सालाना की जद में वेतन पैकेज की पेशकश की गई. प्लेसमेंट सेल के प्रमुख प्रोफेसर प्रमोद कुमार इस साल और भी बेहतर आंकड़ों की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि महामारी के बाद उद्योग में ज्यादा अवसर निकल रहे हैं. आइआइएमसी ने छात्रों को नए जमाने की नौकरियों के लिए तैयार करने के लिए तमाम मुमकिन कदम उठाए हैं. मसलन, हाल के सालों में जब ज्यादातर छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्मों में नियुक्तियां मिल रही हैं, इसने अपने तीन केंद्रों पर डिजिटल पत्रकारिता का नया कोर्स शुरू किया. हर केंद्र पर इस कोर्स में 20 छात्रों को दाखिला दिया जा रहा है.
This story is from the July 05, 2023 edition of India Today Hindi.
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