धर्म एवं राजनीति में कशमकशः तब भारतीय जनसंघ का पलामू में नया-नया आगमन हुआ था. संगठन के प्रमुख चिंतक दीनदयाल उपाध्याय जब डाल्टनगंज आए तो रघुबीर बाबू (एक वकील) मुझे भी अपने साथ साहित्य समाज पुस्तकालय के प्रशाल में ले गए. उन दिनों देश के बेरोजगार युवा आक्रोश में थे और आगजनी की खबरें सुर्खियों में रहा करतीं. उपाध्याय जी ने बड़े ही आकर्षक ढंग से पूछा, “यदि लक्ष्यहीन युवाओं को राष्ट्र निर्माण के काम में लगा दिया जाए तो वे तोड़-फोड़ का रास्ता क्यों अपनाएंगे?" उनका बौद्धिक सुनकर मैं इतना प्रभावित हुआ कि मेरा जनसंघ के प्रति झुकाव और बढ़ गया. इस तरह 1966 ने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी.
अगले साल 1967 में बिहार चुनाव का बिगुल बज गया और संघ के कई प्रमुख सदस्यों ने मेरा नाम भी उछाल दिया. न चाहते हुए भी मैं पटना से आई एक इंटरव्यू कमेटी के सामने पेश हो गया. सभी टिकटार्थियों के साक्षात्कार के बाद समिति ने मेरे नाम की घोषणा कर दी तो मेरा परिवार हैरान हो गया. हर बार की तरह इस बार भी मेरे भाइयों ने मेरे निर्णय का सम्मान रखा. मेरे चौथे भाई महेंद्र ने तो कपड़े की दुकान पर बैठे-बैठे जोर-शोर से मेरा प्रचार करना भी शुरू कर दिया. उन दिनों जनसंघ का मुख्य नारा था “धर्म, धेनु, धन एवं धरती की रक्षा के लिए जनसंघ को वोट दें". किसे पता था कि दीवारों पर लिखे गए यह नारे आज के वक्त की तकदीर लिखेंगे. जनसंघ के इन नारों पर कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी प्रो. बी. पी. वाजपेयी मुझ पर अक्सर यही तंज कसा करते कि "नामधारी अपने धन की रक्षा करने के लिए ही राजनीति में आए हैं."
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
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पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"