आगरा फोर्ट स्टेशन से करीब 400 मीटर दूर हींग की मंडी के रूप में विख्यात इलाका अब जूता-चप्पल निर्माण का बहुत बड़ा केंद्र बन चुका है. यहां करीब सात हजार परिवार बतौर कुटीर उद्योग जूता निर्माण कर रोजी-रोटी चला रहे हैं. इन्हीं में टोली खाल इलाके में रहने वाले 37 वर्षीय मोहम्मद रिजवान भी हैं. वे एक छोटे से कमरे में जूता-चप्पल बनाने के अपने पुश्तैनी कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं. जूता बनाकर सालाना पांच से आठ लाख रुपए की आमदनी करने वाले रिजवान के सामने गुणवत्ता नियंत्रण करने के सरकारी फरमान को पूरा करने की असंभव-सी चुनौती आ गई है. रिजवान को अब अपनी छोटी-सी फैक्ट्री में लाखों रुपए खर्च करके टेस्टिंग लैब लगानी होगी और भारतीय मानक ब्यूरो से लाइसेंस भी लेना होगा. वे अपनी मजबूरी जताते हैं, "क्वालिटी निर्माण के प्रावधान पूरा करने में ही मेरी सारी आमदनी लग जाएगी, इसके बाद परिवार का पेट कैसे भरेंगे?"
सदर भट्टी-मीरा हुसैनी मार्ग पर हाजी परवेज की स्पोर्ट्स शूज बनाने की फैक्ट्री और गोदाम है. इनकी फैक्ट्री के सस्ते और टिकाऊ जूते देश भर में बिकने के लिए जाते हैं. बारिश के हर मौसम में जूते का कारोबार धीमा रहता है लेकिन इस बार तो बिल्कल ठप-सा है. ज्यादातर दुकानदार नए सरकारी नियमों से आशंकित हैं कि अगर उन्होंने भारतीय मानक ब्यूरो से बिना प्रमाणित जूते खरीदे तो उन्हें बेचने में दिक्कतें आएंगी. इसलिए ज्यादातर खरीदारों ने परवेज की दुकान के बेहतरीन जूतों से मुंह मोड़ लिया. नतीजा करीब 10,000 जोड़ी से ज्यादा जूते गोदाम में भरे पड़े हैं.
This story is from the August 09, 2023 edition of India Today Hindi.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"