अन्न क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
India Today Hindi|August 30, 2023
हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित देश की श्रेणी हासिल करना है. ऐसे में तब तक की अनुमानित 1.66 अरब आबादी के लिए पौष्टिक भोजन की पुख्ता व्यवस्था जरूरी है. फिलहाल देश में 30 करोड़ टन अनाज पैदा होता है लेकिन 2030 तक मांग 34.5 करोड़ टन पहुंचने का अनुमान है. देश दूध, मसाले, दालें, चाय, काजू और जूट उगाने में आगे है. चावल, गेहूं, तिलहन, फल, सब्जी, गन्ना और कपास के मामले में दूसरे स्थान पर है. इसके बावजूद आयात एक मजबूरी है. इसे बदलना होगा. तकनीक, नीतियों में सुधार और जलवायु अनुकूल खेती जैसी पहलकदमियों से भविष्य में पैदावार और बढ़ने की उम्मीद है. जरूरत इस बात की भी है कि सालाना 6.87 करोड़ टन तक हो रही खाद्य-पदार्थों की बर्बादी पर लगाम लगाई जाए
अनिलेश एस. महाजन
अन्न क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

सपना सच होने की ओर

देश में खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए तिलहन की पैदावार बढ़ानी होगी. इसकी खातिर मिशन मोड में काम करने पर जोर

भारत खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. घरेलू खाद्य तेल उत्पादन में मजबूती लाने के लिए नई नीतियों और अत्याधुनिक नवाचारों पर जोर दिया जा रहा है. इन सबके बावजूद आयात है कि लगातार बढ़ता ही जा रहा है. जुलाई में भारत ने दुनिया भर के बाजारों से 17.6 लाख टन खाद्य तेल खरीदा. इसमें 2022-23 के पहले नौ महीनों में आश्चर्यजनक तेजी देखी गई. इस दौरान खाना पकाने के तेलों के आयात में 23 फीसद की वृद्धि हुई. यह पिछले साल इसी अवधि में 99.8 लाख टन से बढ़कर 1.23 करोड़ टन हो गई.

जून के मध्य में देश में ज्यादा विदेशी तेल मंगाने की अनुमति दी गई और चुनिंदा खाद्य तेलों के लिए आयात शुल्क कम कर दिया गया. अब दुनिया के कुल खाद्य तेल आयात का 15 फीसद अकेले भारत ही करता है. इससे आयात बिल बढ़ रहा है, जो अक्तूबर 2022 को समाप्त होने वाले तेल वर्ष (नवंबर से अक्तूबर) में 1.57 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को छू गया. भारत सबसे ज्यादा पाम तेल का आयात करता है और यह तेल इंडोनेशिया और मलेशिया से आता है. सोयाबीन तेल सहित दूसरे तेल की एक छोटी मात्रा ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे मुल्कों से आती है, जबकि यूक्रेन और रूस सूरजमुखी तेल की आपूर्ति करते हैं.

यह गेमचेंजर क्यों है

बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम करने की महत्वाकांक्षा के साथ देश में 2021 में खाद्य तेलों पर अपना दूरदर्शी राष्ट्रीय मिशन शुरू किया गया. इसका उद्देश्य तिलहन की पैदावार और तेल की उपलब्धता को बढ़ाना है. इस मिशन के तहत देश में पाम की बागवानी के क्षेत्र को 2026 तक 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जो 2019 में 3,50,000 हेक्टेयर तक सीमित था. इसके अलावा, 18 राज्यों में इसके लायक लगभग 28 लाख हेक्टेयर उपयुक्त जमीन की पहचान की गई है. इस मामले में पूर्वोत्तर के क्षेत्र से खास तौर पर ज्यादा उम्मीद है.

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