देश के इतिहास में 22 दिसंबर को खत्म संसद के शीत-सत्र को शायद ऐसे सत्र के तौर पर दर्ज किया जाएगा जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच संबंध एकदम निम्न स्तर पर पहुंच गए. करीब तीन हफ्ते चले सत्र के दौरान दोनों सदनों ने 10 विधेयक पारित किए. इनमें भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023; और भारतीय साक्ष्य संहिता विधेयक शामिल हैं, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता, 1860; दंड प्रक्रिया संहिता, 1973; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे. लेकिन इन विधेयकों को संसद में किसी बहस के बिना ही पारित कर दिया गया क्योंकि इससे पहले दोनों सदनों के कुल 316 विपक्षी सदस्यों में से 143 यानी 45 फीसद को निलंबित किया जा चुका था.
इस दौरान कई ऐसे रिकॉर्ड बने जो शायद कोई भी नहीं चाहता होगा. मसलन, 18 दिसंबर को 78 सांसदों का एक साथ निलंबन यह एक दिन में सबसे अधिक सांसदों के निलंबन के लिहाज से रिकॉर्ड है. अगले साल प्रस्तावित लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आखिरी सत्र में बने इस अभूतपूर्व रिकॉर्ड की वजह आखिर क्या है?
दरअसल, इस साल 13 दिसंबर को संसद पर पांच सदस्यीय आत्मघाती दस्ते के हमले की 22वीं बरसी के मौके पर लोकसभा में सुरक्षा चूक की घटना सामने आने पर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग पर अड़ा था और इस लेकर दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ. इस बार, दो लोगों ने स्मोक कनस्तर के साथ दर्शक दीर्घा से नीचे सदन में छलांग लगाई और पकड़े जाने से पहले कुछ देर लोकसभा सदस्यों की डेस्क पर इधर-उधर कूद-फांद करते रहे. कथित तौर पर ये बेरोजगार युवा भाजपा सरकार की नीतियों से नाखुश थे और अपनी समस्याओं पर प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट करना चाहते थे.
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