बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी एक खांचे में फिट नहीं हो पाते और लगातार दसवें साल पद पर होने के बावजूद वे एक किस्म की पहेली बने हुए हैं. हिंदू पौराणिक गाथाओं के देवों की तरह नए अवतार में सामने आते रहते हैं, जिसमें कुछ वर्ष 2023 में भी हमारे सामने आए और उन्हें आज के वक्त का, वक्त के लिए और वक्त के द्वारा शख्सियत बना गए. वर्ष 2023 को मोदी अपने लिए चमत्कारों भरा मान सकते हैं, जबकि दुनिया के अधिकांश नेताओं को इस दौरान कई भयावह स्थितियों से गुजरना पड़ा. खासकर दो बड़े युद्धोंयूक्रेन और गजा-ने पहले से ही वैश्विक आर्थिक मंदी और कोविड की काली छाया से उबरने के लिए जूझ रहे तमाम देशों के बीच विभाजन को और गहरा कर दिया. ऐसे संकट काल में मोदी का एकदम अप्रत्याशित ढंग से कड़े फैसले लेने का जज्बा फायदेमंद ही साबित हुआ है. एक तरफ अधिकांश दुनिया टकरावों और युद्धों की विभीषिका देख रही थी, दूसरी तरफ मोदी ने घरेलू मोर्चे के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी मसले सुलझाने के अपने कौशल का दोहरा प्रदर्शन कर पूरी दुनिया में अपनी लोकप्रियता का डंका बजा दिया. 2023 में हर तरफ यही गूंज रही, यही समय है, मोदी का समय है.
सुधारक
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