साल 2026 तक, डिजिटल अर्थव्यवस्था के भारत की जीडीपी में 20 फीसद योगदान देने की उम्मीद. इसमें एआइ बेहद अहम भूमिका निभाएगा
हम जानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) पिछले 12-18 महीनों में तेजी से विकसित हुआ है. जेनरेटिव एआइ में हालिया प्रगति और अत्याधुनिक मल्टी-बिलियन पैरामीटर मॉडल की उपलब्धता ने एआइ को सर्च से लेकर भाषाई अनुवाद तक वास्तविक जीवन का हिस्सा बना दिया है. हाल में काशी तमिल संगमम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदी में भाषण के साथ-साथ तमिल अनुवाद से दिखा कि एआइ थोड़े समय में ही कहां पहुंच गया है. एआइ शायद हमारे समय का सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार है और यह इंटरनेट के आगमन से भी ज्यादा परिवर्तनकारी है.
एआइ में मेरी लंबे समय से रुचि रही है और इसलिए थोड़ी जोशीली वकालत के लिए मुझे माफ कीजिए. तकरीबन 30 वर्ष पहले ( हां, यह मेरा विंटेज है), मेरी मास्टर थीसिस एआइ और इंटेलिजेंट मशीनों (रोबोटिक्स) के बारे में थी. तब की शक्तिशाली मल्टीप्रोसेसर यूनिक्स सिस्टम के इस्तेमाल से मुझे रोबोटिक आर्म को ट्रेन करने के लिए लिस्प में प्रोग्राम किए गए मॉडल (एल्गोरिद्म का संग्रह) बनाने के लिए काफी परेशानी हुई थी. वे प्री- कंप्यूटर विजन, प्री-जीपीयू, प्री-टेन्सरफ्लो वाले दिन थे और लिहाजा, थीसिस और मास्टर डिग्री के अलावा बहुत कम हासिल हुआ. मैंने इंटेल में चिप डिजाइन में एआइ से यथासंभव दूर अपना करियर बनाया.
दशकों से, एआइ ऐसी समस्या थी, जो अनुसंधान में एकदम स्पष्ट थी, लेकिन उसकी कामयाबी उम्मीदों और नाउम्मीदी में झूल रही थी, समाधान पहुंच से दूर रहता था. डीपमाइंड, ओपनएआइ सरीखी कंपनियों की अगुआई में जीपीयू, एआइ कंप्यूट पावर और लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स को लेकर अग्रणी काम, और गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला आदि जैसी बड़ी टेक कंपनियों के भारी निवेश से हम यकीनन अब एआइ युग में हैं. लेकिन एआइ ('थोड़े में ज्यादा हासिल करें') की ताकत की उत्तेजना के साथ खतरों पर भी चर्चा बढ़ रही है. आज यह बहस है कि कैसे कमतर नुक्सान के साथ एआइ की ताकत का इस्तेमाल किया जाए?
This story is from the January 17, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the January 17, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही