अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 8 दिसंबर, 2023 को नई दिल्ली में 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन में केंद्रीय अमित शाह ने कहा, "मैं गौरवान्वित हूं कि मैं विद्यार्थी परिषद का एक ऑर्गेनिक प्रोडक्ट हूं." शाह यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा, “मुझे चार दशक पहले का समय याद आ रहा है, जब मैं कार्यकर्ता के रूप में पिछली पंक्ति में बैठा करता था. चीन युद्ध के बाद पूर्वोत्तर को देश से जोड़े रखने का कार्य करने में परिषद की भूमिका महत्वपूर्ण है. एबीवीपी वह मूर्ति है, जिसे यशवंतराव केलकर, मदनदास देवी, दत्ताजी डिडोलकर जैसे कई महान शिल्पियों ने 75 वर्षों की इस यात्रा में गढ़ा है. चाहे भाषा और शिक्षा का आंदोलन हो या संस्कृति को बरकरार रखना हो, हर क्षेत्र में विद्यार्थी परिषद ने युवाओं के माध्यम से समाज को 'स्व' का महत्व बताया है."
जिस दिन शाह एबीवीपी के अधिवेशन में भाषण दे रहे थे, उस दिन मंच के सामने तीसरी पंक्ति में मध्य प्रदेश के उज्जैन दक्षिण के विधायक और प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव भी बैठे थे. जब वे उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी स्थित आयोजन स्थल निरंकारी मैदान पहुंचे तो वहां व्यवस्था में लगे एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उन्हें तीसरी पंक्ति में बैठाया. यादव शाह की उन बातों को ध्यान से सुन रहे थे जिनमें वे चार दशक पहले आखिरी पंक्ति में बैठने की यादों को साझा कर रहे थे. न तो उन्हें और न ही एबीवीपी कार्यकर्ताओं को इस बात का एहसास था कि तीसरी पंक्ति में बैठे यादव के नाम की घोषणा ठीक तीन दिन बाद यानी 11 दिसंबर को मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर होने वाली है.
यादव के सियासी जीवन की शुरुआत भी विद्यार्थी परिषद से हुई है. उज्जैन के माधव विज्ञान महाविद्यालय में 1982 में परिषद के सचिव बनने के साथ यादव की जो यात्रा शुरू हुई, वह भारतीय जनता युवा मोर्चा होते हुए भारतीय जनता पार्टी तक पहुंची और अब वे मध्य प्रदेश के सियासी पद पर पहुंच गए हैं.
This story is from the January 24, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the January 24, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं