दिलचस्प पहेली है. ऐसा कैसे है कि जिस भारत के पास दुनिया के कुछ सबसे जानदार रॉकेट विज्ञान और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम हैं, उसके पास देश में डिजाइन की गई विश्वस्तरीय असॉल्ट राइफल नहीं है, जो थल सेना का बुनियादी हथियार है. वजहें कई और मिली-जुली हैं-देसी डिजाइन में लगातार खामियां, भारतीय सेना की ऊहापोह कि उसे आखिरकार किस किस्म का हथियार चाहिए, और हथियार निर्माताओं की तरफ से बेजा मांगें. दुनिया में छोटे हथियारों (जिसमें असॉल्ट राइफलें आती हैं) का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में होता है. फिलहाल करीब बीस लाख राइफलें इस्तेमाल में हैं. भारतीय सेना और पैरामिलिटरी फोर्स आइएनएसएएस (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम, भारतीय जवानों को दिया जाने वाला मानक निजी हथियार ) या इनसास, एम4ए1 एके-47, कार्बाइन, टी91 असॉल्ट राइफल, सिग सॉर 716 और टवोर सरीखी कई तरह की असॉल्ट राइफलें इस्तेमाल करते हैं. भारत की छोटे हथियारों की फेहरिस्त में बड़ा हिस्सा इनसास का है, जिनका करीब दस लाख की तादाद में इस्तेमाल किया जा रहा है. सशस्त्र बल तीनों सेनाओं के लिए 8,10,000 असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से अकेले सेना 7,60,000 राइफलें काम में लाती है.
この記事は India Today Hindi の February 14, 2024 版に掲載されています。
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लीक से हटकर
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भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
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छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई