आगामी लोकसभा में चुनाव भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला करने उतरा विपक्षी इंडिया गठबंधन उसमें शामिल दलों के स्वार्थों, अंतर्विरोधों और ठीक से लड़ने की अनिच्छा का शिकार नजर आता है. इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही कि सीटों का बंटवारा तब हुआ जब पहले चरण के नामांकन की तारीख बीत चुकी थी. इसके पहले राजद और सीपीआइ ने अपने उम्मीदवारों को मर्जी से सिंबल बांट दिए. सीटों के बंटवारे के लिए हुई प्रेस ब्रीफिंग सिर्फ तीन मिनट की हुई. उसमें राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बंटवारे की सूची पढ़ी और राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने एक-दो लाइन का रिमार्क पेश किया. गठबंधन में शामिल किसी अन्य पार्टी के नेता कुछ नहीं कहा.
इंडिया गठबंधन में बिहार में पांच पार्टिया शामिल हैं. इनमें राजद को 26 सीटें, कांग्रेस को नौ सीटें, भाकपा-माले को तीन सीटें और सीपीआइ-सीपीआइएम को एक-एक सीट मिली. यह रिपोर्ट लिखे जाने तक इनमें से कई सीटों पर अभी उम्मीदवार भी फाइनल नहीं हुए हैं. प्रत्याशियों की कोई सूची जारी नहीं की जा रही है. राजद उम्मीदवारों को लालू यादव अपने घर से सिंबल दे रहे हैं.
गठबंधन में सबसे बड़ा विवाद इस बात को लेकर हुआ कि सीटों के बंटवारे से पहले ही राजद और सीपीआइ ने कई उम्मीदवारों को सिंबल दे दिए. इनमें कुछ सीटें ऐसी थीं जिन पर कांग्रेस का दावा था, जैसे औरंगाबाद और पूर्णिया औरंगाबाद सीट पर कांग्रेस के बड़े नेता निखिल कुमार लंबे समय से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, मगर वहां से राजद ने अभय कुशवाहा को टिकट दे दिया.
सबसे अधिक विवाद पूर्णिया सीट को लेकर हुआ. जनाधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव वहां से लं समय से तैयारी कर रहे थे. चुनाव के वक्त पूर्णिया से टिकट मिलने की उम्मीद में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया. मगर राजद ने वहां से जद (यू) छोड़ पार्टी में आईं बीमा भारती को टिकट दे दिया. पप्पू अभी भी पूर्णिया से चुनाव लड़ने पर अडिग हैं. वे चाहते हैं कि कांग्रेस उन्हें पूर्णिया से चुनाव लड़ने की इजाजत उसी तरह दे जैसे वायनाड राहुल गांधी के खिलाफ एनी राजा मैदान में हैं. मगर उन्हें पार्टी का खुला समर्थन नहीं मिला. मजबूरन उन्होंने 4 अप्रैल को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया.
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