![म्यान से फिर बाहर तलवार](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1713178125/articles/b6MBTN81L1713263274937/1713263911661.jpg)
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला के एक असावधानी भरे बयान ने भाजपा को गुजरात में मुश्किल में डाल दिया है. रूपाला ने बीते महीने वाल्मीकि समाज के एक कार्यक्रम में कहा कि अंग्रेजों ने जहां भारतीयों का दमन किया, वहीं रियासतों के सदस्य उन्हीं के सामने झुक गए और उनसे गठजोड़ किया. यहां तक कि उन्होंने अपनी बेटियों की शादी भी साम्राज्यवादियों से कर दी. रूपाला ने दलित समुदाय का महिमामंडन करते हुए कहा कि दलितों ने अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके. वाल्मीकि भी इसी समुदाय में हैं. राजकोट से भाजपा उम्मीदवार रूपाला ने कहा, “दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार किए गए, मगर वे झुके नहीं. " रूपाला के उस बयान ने उन्हें उनके लक्षित श्रोताओं को लुभाने में भले मदद की हो (या शायद नहीं भी) मगर यह क्षत्रिय समुदाय को कतई पसंद नहीं आया. दरअसल, क्षत्रिय समुदाय उन पूर्व राजघरानों का हिस्सा रहा है.
इस मुद्दे ने तूल पकड़ा तो रूपाला के साथ भाजपा भी क्षत्रियों के निशाने पर आ गई. फिर केंद्रीय मंत्री ने बार-बार सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा, “मैंने जो कहा मेरा वह मतलब कभी नहीं था. यह मेरे लिए बड़े अफसोस की बात है कि मेरे मुंह से ऐसी बातें निकलीं." मगर क्षत्रियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ और उन्होंने रूपाला की माफी को चुनावी हथकंडा बताया. वे लोकसभा चुनाव की रूपाला की उम्मीदवारी को वापस लेने से कम पर तैयार नहीं हैं.
This story is from the April 24, 2024 edition of India Today Hindi.
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![घाट-घाट की प्रेरणा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/LUUVJOPjd1719819069912/1719819253094.jpg)
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“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की कमान संभालने के फौरन बाद धर्मेंद्र प्रधान को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों को लेकर उठे तूफान से निबटना पड़ा. इस मामले में विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग तक कर डाली. इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और डिप्टी एडिटर अनिलेश एस. महाजन के साथ 25 जून को एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रधान ने इस संकट से पार पाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों और आगे की चुनौतियों के बारे में दोटूक और खरी-खरी बात की. इसी बातचीत के अंशः
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तमाशा बनी परीक्षाएं
पर्चा लीक और कई खामियों से चार राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं और करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी विवादों के भंवर में. उसमें सुधार और पारदर्शिता वक्त की जरूरत बना
![सूरत बदलने का इंतजार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/WpzST80kY1719813845279/1719814029267.jpg)
सूरत बदलने का इंतजार
यह ऐसी योजना थी जैसे ताजा कटा हुआ चमकता नग हो. पांच साल पहले सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को मुंबई बढ़ती भीड़ और लागत वृद्धि का एकदम सटीक विकल्प माना गया था. मुंबई, जहां भारत के अधिकांश हीरा व्यापारी हैं, की टक्कर में हीरा कारोबारियों के लिए शानदार, सस्ते और बड़े ऑफिस, चौड़ी सड़कें, उन्नत हवाई अड्डे के साथ योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई संपर्क की योजना बनाई गई थी. इसमें सोने में सुहागा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन थी जो महज दो घंटे में सूरत से मुंबई बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स तक पहुंचा देती.