![मीडिया के लिए ट्रेनिंग में अब भी बेमिसाल](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1719229011/articles/Iwiw54jjq1719311530797/1719311967459.jpg)
दिल्ली के बाहरी इलाके में हरियाली के बीच स्थित भारतीय जन संचार संस्थान यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आइआइएमसी) उत्कृष्टता का ऐसा प्रमुख केंद्र है जो अपनी संपन्न विरासत और अनूठे पाठ्यक्रमों के बूते अगली पीढ़ी के मीडिया प्रोफेशनल्स को प्रोत्साहित करता है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत करीब 6 दशक पुराना यह संस्थान पारंपरिक रूप से पत्रकारिता में 9 महीने का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा देता था. इस साल से यह डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी बन गया है जिससे इसे अपने पाठ्यक्रम और पाठ्य सामग्री तैयार करने में आजादी मिलेगी. यह पत्रकारों को न्यूज रूम के अलावा न केवल नए दौर के करियर ऑप्शन देगा बल्कि मीडिया परिदृश्य में लगातार होते रणनीतिक बदलाव का ध्यान रखेगा. जिन नए पाठ्यक्रमों की पेशकश की जा रही है, उनमें मीडिया बिजनेस स्टडीज और रणनीतिक संचार में एमए शामिल है. यहां विशेषज्ञता वाले पत्रकारिता के पाठ्यक्रम भी हैं जैसे जेनरेटिव एआइ, ड्रोन और यहां तक कि ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी जैसे टूल्स का फायदा उठाने की ट्रेनिंग. ये प्रिंट, टीवी, रेडियो और डिजिटल पत्रकारिता के मौजूदा पाठ्यक्रमों के अलावा हैं. संस्थान का एन्वायरमेंट जर्नलिज्म में कोर्स कई सालों से लोकप्रिय है. अब उसने स्वास्थ्य संचार पर भी कोर्स शुरू किया है.
यह दूसरों से अलग कैसे है
यह अब विश्वविद्यालय के समकक्ष (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसे अपने कोर्स और पाठ्य सामग्री तैयार करने की स्वतंत्रता दी गई है. इससे पत्रकारों के लिए पारंपरिक न्यूजरूम के अलावा न केवल आधुनिक करियर की राह बनेगी बल्कि वे मीडिया के लगातार बदलते माहौल के अनुकूल भी बनेंगे
मीडिया इंडस्ट्री के अव्वल नाम आइआइएमसी की नियमित फैकल्टी के रूप में आते हैं. यहां न केवल सैद्धांतिक पढ़ाई होती है बल्कि नियमित रूप से असली काम के लिए प्रैक्टिकल अनुभव भी कराया जाता है जिससे यह संस्थान विशेष बन जाता है
This story is from the July 03, 2024 edition of India Today Hindi.
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“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की कमान संभालने के फौरन बाद धर्मेंद्र प्रधान को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों को लेकर उठे तूफान से निबटना पड़ा. इस मामले में विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग तक कर डाली. इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और डिप्टी एडिटर अनिलेश एस. महाजन के साथ 25 जून को एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रधान ने इस संकट से पार पाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों और आगे की चुनौतियों के बारे में दोटूक और खरी-खरी बात की. इसी बातचीत के अंशः
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तमाशा बनी परीक्षाएं
पर्चा लीक और कई खामियों से चार राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं और करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी विवादों के भंवर में. उसमें सुधार और पारदर्शिता वक्त की जरूरत बना
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सूरत बदलने का इंतजार
यह ऐसी योजना थी जैसे ताजा कटा हुआ चमकता नग हो. पांच साल पहले सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को मुंबई बढ़ती भीड़ और लागत वृद्धि का एकदम सटीक विकल्प माना गया था. मुंबई, जहां भारत के अधिकांश हीरा व्यापारी हैं, की टक्कर में हीरा कारोबारियों के लिए शानदार, सस्ते और बड़े ऑफिस, चौड़ी सड़कें, उन्नत हवाई अड्डे के साथ योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई संपर्क की योजना बनाई गई थी. इसमें सोने में सुहागा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन थी जो महज दो घंटे में सूरत से मुंबई बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स तक पहुंचा देती.