![अच्छी संगत से रगत](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1719229011/articles/Yya07UFDg1719312360432/1719312841430.jpg)
जोअंडरग्रेजुएट छात्र बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) की डिग्री हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय का शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज (एसएससीबीएस) व्यापक और अप टू डेट पाठ्यक्रम की पेशकश करता है. इस पाठ्यक्रम में मार्केटिंग, वित्त, मानव संसाधन और परिचालन जैसे बिजनेस विषयों के अलावा डेटा एनालिटिक्स, डिजिटल मार्केटिंग और आंत्रप्रेन्योरशिप के विषय भी शामिल होते हैं. एसएससीबीएस बिजनेस मैनेजमेंट की शिक्षा के प्रति अनूठे नजरिए के लिए जाना जाता है और इसका पाठ्यक्रम सैद्धांतिक ज्ञान और प्रैक्टिकल प्रयोगों के मेल के आधार पर तैयार किया गया है. प्राइवेट इक्विटी, हेज फंड और एडवांस डेरिवेटिव जैसे पाठ्यक्रम छात्रों को आज के रोजगार बाजार में सबसे ज्यादा मांग वाले कौशल से गढ़ते हैं. कारोबारी माहौल की असली दुनिया की समझ के लिए व्यावहारिक अनुभव महत्वपूर्ण होता है. कॉर्पोरेट साझेदारी का इसका शानदार नेटवर्क छात्रों को प्रमुख एमएनसी में इंटर्नशिप के अवसर मुहैया कराता है और उन्हें पेशेवर व्यवस्था में कक्षा में पढ़ी गई जानकारी के प्रयोग का अवसर देता है. संवाद सत्रों, शानदार जॉब प्लेसमेंट के आंकड़ों और सक्रिय एलुमनाइ नेटवर्क से मौजूदा छात्रों को मेंटरशिप और जॉब प्लेसमेंट में मदद मिलती है. इस चहुंमुखी शिक्षा प्रणाली में एक और बात एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों की हैं जो छात्रों में नेतृत्व कौशल और विकास को प्रोत्साहन देती हैं. छात्रों की ओर से चलाई जाने वाली कई समितियां जैसे आंत्रप्रेन्योरशिप सेल, इंटरनेशनल फाइनेंस स्टुडेंट एसोसिएशन और 180 डिग्री कंसल्टिंग इवेंट्स, वर्कशॉप और प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन करती हैं जिससे कि छात्रों को अपना मुख्य कौशल विकसित करने और साथियों तथा प्रोफेशनल्स के साथ नेटवर्क बढ़ाने का अवसर मिले.
यह दूसरों से अलग क्यों है
इसका एनएएसी सीजीपीए स्कोर 4 में से 3.50 है
कॉलेज के जरिए प्लेसमेंट का विकल्प चुनने वाले 95 प्रतिशत छात्रों को नौकरियां मिलीं
छात्रों को 11.27 लाख रुपए के औसत वार्षिक वेतन (देश में) की पेशकश की गई जो बीबीए कॉलेजों में सबसे अधिक है
This story is from the July 03, 2024 edition of India Today Hindi.
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![घाट-घाट की प्रेरणा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/LUUVJOPjd1719819069912/1719819253094.jpg)
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दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर ने एक्टिंग के अपने तरीके, फिल्मों, दर्शन, दोस्तों और किसानों के लिए बनाए ट्रस्ट समेत जीवन के कई पहलुओं पर इंडिया टुडे हिंदी और लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी से खुलकर बात की. पेश है बातचीत का संपादित अंशः
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दुनिया में ब्राजील के बाद रोबस्टा बीन्स के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक वियतनाम में सूखा पड़ने से आपूर्ति में रुकावट आई. इससे भारत के बागान मालिकों की हुई चांदी
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बेरोजगार युवाओं-युवतियों को नौकरी देने के नाम पर उनके साथ ठगी, यौन शोषण और क्रूरता की दहला देने वाली कहानियां
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आर्थिक मंदी ने आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़े छात्रों की नौकरी पर असर दिखाना शुरू कर दिया है. ऐसे संस्थानों की डिग्री अब नौकरी पक्की होने की गारंटी नहीं रही
![पेपर लीक के बाद अब कॉपीकांड](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/ndtFh9WZr1719815826406/1719816002127.jpg)
पेपर लीक के बाद अब कॉपीकांड
न्यायिक सेवा सिविल जज जूनियर डिवीजन भर्ती 2022 की मुख्य परीक्षा में कॉपी की अदला बदली का आरोप यूपी लोक सेवा आयोग के गले की फांस बना हाइकोर्ट ने मांगीं उत्तर पुस्तिकाएं तो मचा हड़कंप
![“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/ibMy9dEZM1719815374569/1719815811899.jpg)
“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की कमान संभालने के फौरन बाद धर्मेंद्र प्रधान को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों को लेकर उठे तूफान से निबटना पड़ा. इस मामले में विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग तक कर डाली. इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और डिप्टी एडिटर अनिलेश एस. महाजन के साथ 25 जून को एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रधान ने इस संकट से पार पाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों और आगे की चुनौतियों के बारे में दोटूक और खरी-खरी बात की. इसी बातचीत के अंशः
![तमाशा बनी परीक्षाएं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/uhIvGCtUT1719814030220/1719815048248.jpg)
तमाशा बनी परीक्षाएं
पर्चा लीक और कई खामियों से चार राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं और करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी विवादों के भंवर में. उसमें सुधार और पारदर्शिता वक्त की जरूरत बना
![सूरत बदलने का इंतजार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1751052/WpzST80kY1719813845279/1719814029267.jpg)
सूरत बदलने का इंतजार
यह ऐसी योजना थी जैसे ताजा कटा हुआ चमकता नग हो. पांच साल पहले सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को मुंबई बढ़ती भीड़ और लागत वृद्धि का एकदम सटीक विकल्प माना गया था. मुंबई, जहां भारत के अधिकांश हीरा व्यापारी हैं, की टक्कर में हीरा कारोबारियों के लिए शानदार, सस्ते और बड़े ऑफिस, चौड़ी सड़कें, उन्नत हवाई अड्डे के साथ योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई संपर्क की योजना बनाई गई थी. इसमें सोने में सुहागा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन थी जो महज दो घंटे में सूरत से मुंबई बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स तक पहुंचा देती.